घोसी सांसद ने प्रस्तुत किया तीन माह का लेखा-जोखा

15 Oct 2024

- संसद में उठाए सर्वाधिक सवाल, सांसद आपके द्वार की होगी शुरुआत

मऊ : घोसी लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजीव राय ने मंगलवार को अपने तीन महीने के कार्यकाल का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। जनहित के कराए गए कार्यों का विवरण बताया। अपने कैंप कार्यालय पर पत्रकार वार्ता करते हुए सांसद राजीव राय ने बताया कि संसद की कार्रवाई में सबसे ज्यादा सवाल उठाने वाले सांसद के रूप में उनका नाम दर्ज हुआ  है। वह जनहित के कुल 18 सवाल विभिन्न बिंदुओं पर उठाए।

उठाया पब्लिक की डूबी रकम का मामला

बताया कि संसद में उठाए गए सवालों में सहारा में डूबे हुए पैसे की वापसी, फूड प्रोसेसिंग सिस्टम के लिए लघु सूचना सूचना एवं मध्यम उद्योग से सवाल पूछा। साथ ही वोकेशनल एवं टेक्निकल इंस्टीट्यूशन के लिए मऊ में क्या हो सकता है? सैनिक कल्याण के लिए तथा कृषि एवं पेयजल से संबंधित सवाल पूछा। रेलवे समूह में भर्तियों पर सवाल पूछा। अल्पसंख्यक कल्याण योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यकों के कल्याण से संबंधित सवाल एवं हेल्थ सेक्टर में आयुष मंत्रालय से सवाल पूछा।

केंद्र में भी मिली है पदबी 

बताया कि मिड डे मील और सरकारी आवास जो बनते हैं उस विषय में सवाल किया। एकलव्य विद्यालय के बारे में सवाल किया। मेरे सारे सवाल आमजन को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए। उन्हें पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी में शिक्षा महिला एवं बाल कल्याण खेल एवं युवा जैसे बड़े मंत्रालय में रखा गया है। वहां भी पहली मीटिंग में केंद्र सरकार से सवाल किया कि केंद्रीय विद्यालय आखिर कब बनेंगे? आबादी बढ़ती गई लेकिन केंद्रीय विद्यालयों की संख्या वहीं रह गई। हमने मांग की है कि केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए।

शिक्षकों से कब कराएंगे पढ़ाई 

उन्होंने यह भी बात रखी कि प्राइमरी शिक्षा को जहां मजबूत करने की बात करते हैं वहां दिन भर मोबाइल के माध्यम से अध्यापकों को काम दिया जाता है। कुछ लोग ऐसे हैं जब उनकी ज्वाइनिंग हुई थी तो उसे समय मोबाइल नहीं थी। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षक से ही जनगणना कराएंगें, मतगणना कराएंगे। हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि आखिर पढ़ाई कब कराएंगे? प्राइमरी शिक्षा को भी सुदृढ़ करने के लिए हमारी पूरी कोशिश रहेगी।

नहीं चलने देंगे अफसरों की मनमानी

राजीव राय ने कहा कि मेरी अभी प्राथमिकता रहेगी कि मऊ में और केंद्रीय विद्यालय लेकर आऊं, जिन ब्लॉकों में कस्तूरबा विद्यालय नहीं है उन ब्लॉकों में भी कस्तूरबा विद्यालय खोलने के लिए प्रस्ताव दिया जाएगा। उनके द्वारा जल्द ही " *सांसद आपके द्वार* " कार्यक्रम चलाया जाएगा। उसमें खुद वह चलकर जनता के दरवाजे पर उनकी समस्याओं के समाधान करने का प्रयास करेंगे। इससे दूर दराज के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को काफी लाभ होगा। साथ ही जो अधिकारी मनमाना करते हैं उन पर भी अंकुश लगेगा, क्योंकि हर 15 दिन बाद जनता के बीच रहूंगा और उनकी समस्याओं को लेकर अधिकारियों से हर स्तर पर समाधान कराने का प्रयास करूंगा।

प्रस्ताव जाता है, पर नहीं होती कार्रवाई

सांसद राजीव राय ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह सरकार केवल वादों की सरकार है। यह नहीं चाहते कि इनकी कोई बुराई करे। इसीलिए वह बिना जनप्रतिनिधि को शामिल किए ही विकास समिति की बैठक करवाकर अपना कोरम पूरा कर देते हैं। अभी इसका उदाहरण बलिया में देखने को मिला। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र बिनटोलिया का जिक्र करते हुए सांसद राजीव राय ने कहा कि वहां की स्थिति से जब अधिकारियों से जानना चाहा तो सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने बताया कि 5 साल से लगातार विभिन्न कार्यों के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है, लेकिन उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

सरकार नहीं करती प्रोजेक्ट स्वीकृत 

राजीव राय ने बताया कि इसी प्रकार पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को बुलाकर पूछा तो उन्होंने भी बताया कि सारी जर्जर सड़कों का प्रस्ताव भेज दिया है लेकिन अभी तक कोई भी प्रोजेक्ट अप्रूव होकर सरकार की तरफ से नहीं आया। राजीव राय ने कहा कि हम मजबूर होकर मीडिया के सामने यह बात कह रहे हैं कि इसको सुनकर कुछ तो असर पड़े और प्रस्ताव पास होकर आ सके ताकि जनता का कल्याण हो सके।

होगी लड़ाई, आर या पार 

कहा कि सिर्फ वादे करने से कोई काम नहीं होता। अपनी नजीर दी कि बिना पद पर रहे तमाम सड़कों को बनवाया। चाहे आजमगढ़ से मऊ टू लेन सड़क हो, मधुबन से मऊ शहीद मार्ग हो, चिरैयाकोट मार्ग हो, हमने सपा सरकार में काम करवाया। अफसरों को चेताते हुए कहा कि सिर्फ लूट खसोट से काम नहीं चलेगा। बिना जनप्रतिनिधियों के एवं जनता की सलाह लिए बगैर कोई काम नहीं होगा। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। जरूरत पड़ेगी तो आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।

सात साल में गड्ढामुक्त नहीं हो पाई सड़कें

चेतावनी देते हुए कहा कि अफसर सुधर जाएं, अब ऐसा नहीं चलेगा कि हम किसी की सुनेंगे नहीं। किसी का कहा कुछ करेंगे नहीं। जिले में तमाम सड़के हैं जहां पर हालत ऐसी है कि चलना दूभर है। सरकार बार-बार दावा करती है कि 100 दिन में गड्ढा मुक्त करेंगे। 7 साल हो गया अभी तक गड्ढा मुक्त रोड नहीं बन पाई। 7 साल में यह लोग गड्ढा मुक्त नहीं कर पाए लेकिन अधिकारी गरीबी मुक्त हो गए। सारा पैसा गड्ढा में भरने वालों के पेट में भर गया।

उद्योग बढ़ाने की मांग 

मांग किया कि जो भी परियोजना लंबित है उनको तत्काल पूर्ण किया जाए। जितनी मऊ की जर्जर सड़के हैं उनको सुदृढ़ कराया जाए। जो बाढ़ से कटान का मसला है उसको साल्व किया जाए। कहा कि  हमारे यहां उद्योग धंधे नहीं हैं। ऐसे में उद्योग धंधे के लिए जो जगह है पहले से ही 90% खाली है, यहां पर उद्योग धंधे लगाया जाए। यहां औद्योगिक पार्क की जरूरत नहीं है, उद्योग इकाइयों की जरूरत है।

मऊ के नेताओं के हुए मुरीद

केंद्र सरकार से भी मांग की है कि यहां पर सड़कों की कनेक्टिविटी चाहे सिक्स लेन हो या फोरलेन हो अच्छी हो गई है। इसलिए यहां पर उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान एवं ट्रामा सेंटर मेडिकल कॉलेज तथा औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जाए। कहा कि सवाल सारे नेताओं पर उठते हैं। लेकिन मऊ के नेताओं की पार्टी लाइन से हटकर इस बात की प्रशंसा करूंगा कि कोई भी छोटा या बड़ा नेता किसी भी पार्टी के नेता पर कोई भद्दी टिप्पणी नहीं करता। यह एक स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है। 



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