मऊ : कसारी में बह रही अध्यात्म की बयार

08 Oct 2024

- सप्त दिवसीय महाभागवत कथा सुनने जुट रहे लोग, सच्चाई जान मृत्यु से भय हुआ दूर
- अयोध्या से आए महाराज विनयानंद ने सुनाई परीक्षित को शुकदेव के उपदेश की कथा

मऊ :  जिले के रानीपुर ब्लाक क्षेत्र के कसारी गांव में इन दिनों अध्यात्म की बयार बह रही है। अवसर है सप्त दिवसीय महाभागवत कथा का। विगत पांच अक्तूबर से चल रही कथा में अयोध्या से पधारे महाराज विनयानंद लोगों को जीवन की सच्चाई का बोध करा रहे हैं। हर रोज शाम को हो रही कथा में वह कोई न कोई प्रसंग सुनाकर लोगों को माया मोह का ज्ञान करा रहे हैं। उन्होंने राजा परिक्षित को शुकदेव का उपदेश सुनाकर लोगों के मृत्यु का भय दूर करने का प्रयास किया। कथा का समापन 11 अक्तूबर को होगा।

​​​​​​बहेलिया के किस्से के बहाने कराया बोध 

महाराज विनयानंद ने कहा कि राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाते हुए शुकदेव को छह दिन बीत गए और उनकी मृत्यु में बस एक दिन शेष रह गया। लेकिन राजा का शोक और मृत्यु का भय कम नहीं हुआ। तब शुकदेवजी ने राजा को एक कथा सुनाई – ‘एक राजा जंगल में शिकार खेलने गया और रास्ता भटक गया। रात होने पर वह आसरा ढूंढ़ने लगा। उसे एक झोपड़ी दिखी जिसमें एक बीमार बहेलिया रहता था। उसने झोपड़ी में ही एक ओर मल-मूत्र त्यागने का स्थान बना रखा था और अपने खाने का सामान झोपड़ी की छत पर टांग रखा था। उसे देखकर राजा पहले तो ठिठका, पर कोई और आश्रय न देख उसने बहेलिए से झोपड़ी में रातभर ठहरा लेने की प्रार्थना की।

परिक्षित ने खुद राजा को बताया मूर्ख

कथा सुनाकर शुकदेव ने परीक्षित से पूछा- ‘क्या उस राजा के लिए यह झंझट उचित था?’ परीक्षित ने कहा- ‘वह तो बड़ा मूर्ख था, जो अपना राज-काज भूलकर दिए हुए वचन को तोड़ना चाहता था। वह राजा कौन था?’ तब शुकदेव ने कहा – ‘परीक्षित, वह तुम स्वयं हो। इस मल-मूत्र की कोठरी देह में तुम्हारी आत्मा की अवधि पूरी हो गई। अब इसे दूसरे लोक जाना है। पर तुम झंझट फैला रहे हो। क्या यह उचित है?’ यह सुनकर परीक्षित ने मृत्यु के भय को भुलाते हुए मानसिक रूप से निर्वाण की तैयारी कर ली और अंतिम दिन कथा-श्रवण पूरे मन से किया।

इनकी रही प्रमुख सक्रियता

कसारी में चल रही सप्त दिवसीय महाभागवत कथा के मुख्य यजमान खुरहट के ख्यातिलब्ध चिकित्सक डा. रविन्द्र उपाध्याय, मुहम्मदाबाद गोहना के प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डा० अमित उपाध्याय, , अतुल, पियूष, विरेन्द्र उपाध्याप, धनेन्द्र उपाध्याय, पवन उपाध्याय, प्रदीप उपाध्याय आदि व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन में सक्रिय रहे।

 



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