मऊ में बोले सपा जिलाध्यक्ष, पिछड़ों के मसीहा थे बीपी मंडल
26 Aug 2024
- सपाजनों ने मनाया बीपी मंडल का जन्मदिन
मऊ : समाजवादी पार्टी कार्यालय पर मंडल कमीशन के अध्यक्ष स्व बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल का जन्मदिन बड़े ही उत्साह एवं धूमधाम से मनाया गया। जन्मदिन समारोह को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष दूधनाथ यादव ने कहा कि बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ था लेकिन वह बिहार के मधेपुरा जिला के राजवाड़ा परिवार के रहने वाले थे। वे अपने पिता के सातवीं संतान थे। वह बचपन से ही निर्भीक, निडर और प्रखर वक्ता थे।
छह साल की मजिस्ट्रेट की नौकरी
बीपी मंडल जब जूनियर हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके स्कूल में पहले सवर्ण बिरादरी के लोग पानी पी लेते तब पिछड़े और दलित के लोग पीते थे। इसका इन्होंने विद्यालय प्रबंधन से पुरजोर विरोध किया और इस व्यवस्था को समाप्त करा दिया। इसके बाद वे पटना चले गए और वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद मजिस्ट्रेट की नौकरी कर ली। इन्होंने 1945 से 1951 तक मजिस्ट्रेट के पद पर काम किया। फिर इन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। पहली बार इन्होंने जिला परिषद का चुनाव लड़ा और जीता।
बिहार के सातवें सीएम भी रहे
इसके बाद उन्होंने मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव 1967 में लड़ा और जीता। वे मधेपुरा से 1967 से लेकर 1989 तक सांसद रहे। इसी दौरान 1 फरवरी 1968 को इन्होंने सांसद होते हुए भी बिहार के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और 30 दिन बाद इस्तीफा दिया लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में 51 दिन रहे। वह पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे। जनता पार्टी की सरकार में पिछड़ों के उत्थान के लिए सरकार ने एक कमीशन का गठन किया। बिंदेश्वरी प्रसाद को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया जो मंडल आयोग के नाम से जाना गया।
बीपी सिंह ने लागू की रिपोर्ट
अपनी रिपोर्ट इन्होंने 1980 में तत्कालीन गृहमंत्री को सौंपी। उसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई और कांग्रेस की सरकार ने मंडल कमीशन की आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। 1990 में जब जनता दल की सरकार बनी और बीपी सिंह प्रधानमंत्री बने तो समाजवादी नेता शरद यादव, रामविलास पासवान, देवीलाल जैसे तमाम नेताओं का मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का दबाव बढ़ता गया। सरकार को बचाने के लिए प्रधानमंत्री बीपी सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करना उचित समझा। उन्होंने सदन में 6 अगस्त 1990 को घोषणा कर दिया कि हम मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू करेंगे और 13 अगस्त 1990 को अधिसूचना जारी कर दी गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंडल आयोग की रिपोर्ट पर रोक लगा दिया जो इंदिरा साहनी के नाम से जाना जाता है।
मुलायम सिंह ने यूपी में तत्काल लागू किया आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल बाद उस पर फैसला सुनाया कि यह रिपोर्ट पिछड़ों के हित में है। इसे लागू होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट ने स्टे हटाकर लागू करने का रास्ता साफ कर दिया। इस तरह देश में 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों के लिए लागू हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने आरक्षण को उत्तर प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। चूंकि संविधान में अधिकार दिया गया था कि आरक्षण को सिर्फ 50 प्रतिशत तक दिया जा सकता है। जिसके तहत मंडल कमीशन की रिपोर्ट को आधार मानकर 27 परसेंट का आरक्षण दिया और 22 परसेंट दलितों का पहले से आरक्षण था।
जातिगत जनगणना समय की मांग
सपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि आज समय की मांग है और राष्ट्रीय अध्यक्ष की स्पष्ट विचारधारा है कि जाति जनगणना कराई जाए और जिसकी जितनी हिस्सेदारी हो उतनी उसकी भागीदारी सुनिश्चित हो। कहा कि स्व बिंदेश्वरी प्रसाद की मृत्यु 13 अप्रैल 1982 में हो गई। एक धनी और रजवाड़ा परिवार के होते हुए भी मंडल ने जो ऐतिहासिक काम किया, उसके लिए पूरा पिछड़ा वर्ग उनका ऋणी है। यदि संविधान की बाध्यता ना होती तो शायद पिछड़ों को संपूर्ण आबादी के अनुपात में उनका आरक्षण मिल गया होता। जन्मदिन समारोह कार्यकम को डा. जयप्रकाश यादव, पंकज उपाध्याय, वीरेंद्र यादव लोहिया, राम शब्द यादव, राजेश यादव, गौरव पांडेय, मिट्ठू राजभर, राम नगीना कवि, राजेश दुबे, शंभू सोनकर, सीताराम यादव और शाहनवाज आलम आदि लोगों ने संबोधित किया।