रंगकर्मी रणधीर सिंह को मऊ में किया याद, दी श्रद्धांजलि
26 Aug 2022
-93 साल की अवस्था में हुआ निधन
बुलंद आवाज ब्यूरो
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मऊ : देश के जाने-माने रंगकर्मी, निर्देशक, नाट्य एवं फिल्म अभिनेता, लेखक, इतिहासकार एवं इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणधीर सिंह का जयपुर मे 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ पर शुक्रवार को शोकसभा में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उनके जीवन वृतांत को याद किया गया।
शोले व चांदनी चौक फिल्म में किया अभिनय
अभिनव कदम के संपादक जयप्रकाश धूमकेतु ने कहा कि 7 जुलाई 1929 को डूंडलाड राजस्थान में जन्मे रणधीर सिंह ने मेयो कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा के बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से 1945 में बीए किया। रंगमंच और फिल्म में प्रारंभ से ही उनकी रूचि थी। वे राजघराने के बंधन तोड़कर 1949 में मुंबई चले गए। वहां उन्होंने बीआर चोपड़ा की फिल्म शोले में अशोक कुमार और बीना के साथ तथा चांदनी चौक में मीना कुमारी और शेखर के साथ अभिनय किया।
जयपुर में की थियेटर ग्रुप की स्थापना
धूमकेतु ने कहा कि 1953 में वे जयपुर लौटे और जयपुर थिएटर ग्रुप की स्थापना की। इसमें अनेक नाटकों का निर्देशन किया। अभिनय व्यवस्था भी संभाली। 1959 में कमलादेवी चट्टोपाध्याय के बुलावे पर दिल्ली चले गए। वहां उनकी सरपरस्ती में उन्होंने भारतीय नाट्य संघ की स्थापना की। उसका इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट से संबंध था। यहां उन्होंने यात्रिक थिएटर ग्रुप के साथ अनेक नाटक किए। उन्होंने अनेक टीवी धारावाहिकों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें अमाल अल्लाना के निर्देशन में मुल्ला नसरुद्दीन, अनुराग कश्यप के निर्देशन में गुलाल एवं संजय खान के निर्देशन में टीपू सुल्तान की तलवार प्रमुख है।
हजारों बार खेले गये उनके लिखे नाटक
कहा कि अभिनय और निर्देशन के अतिरिक्त उन्होंने अनेक नाटक लिखे जो हजारों बार खेले गए। इनमें प्रमुख हैं पासे, हाय मेरा दिल, सराय की मालकिन, गुलफाम, मुखौटों की जिंदगी, मिर्जा साहब, अमृत जल, तन्हाई की रात। उन्होंने ने कई विदेशी नाटकों के भारतीय रूपांतरण किये। इतिहास के गहरे अध्येता थे। रंगमंच के इतिहास को उन्होंने वाजिद अली शाह, पारसी रंगमंच का इतिहास, इंद्रसभा, संस्कृत नाटक का इतिहास जैसी पुस्तकों से समृद्ध किया। साथ ही नाटकों के कई विश्व कोषो में भारतीय रंगमंच की उपस्थिति दर्ज कराई।
2012 में बने इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
इप्टा के जिलाध्यक्ष राम अवतार सिंह ने कहा कि 1984 में इप्टा के पुनर्गठन की प्रक्रिया में वे इप्टा से जुड़े। 1985 में आगरा में आयोजित राष्ट्रीय कन्वेंशन में शामिल हुए। 1986 में हैदराबाद के राष्ट्रीय सम्मेलन में उपाध्यक्ष चुने गए एवं 2012 में ए के हंगल के निधन के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। इप्टा के हर राष्ट्रीय सम्मेलन कार्यक्रम में नौजवानों की ऊर्जा के साथ शामिल होते थे। उनके मार्गदर्शन में इप्टा की सक्रियता निरंतर बढ़ती रही। रंगमंच में नए नाटकों और नए प्रयोगों को वह जरूरी मानते थे। इप्टा मऊ व जनपद के नाट्य रंगकर्मी अपने जिंदादिल अभिभावक के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार और मित्रों के दुख में शरीक हैं।
इनकी रही प्रमुख उपस्थिति
श्रद्धांजलि में प्रमुख रूप से सरोज सिंह, राम सोच यादव, अब्दुल अजीम खां, रामू प्रसाद, समसुलहक चौधरी, डा. त्रिभुवन शर्मा, बसंत कुमार, ब्रिकेश यादव, सिकंदर, अजय कुमार मिश्र, परशुराम प्रजापति, संजय राजभर आदि उपस्थित रहे।