प्रो. ध्रुवसेन सिंह को मिलेगा राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार
02 Jul 2022
-भूविज्ञान के क्षेत्र में किया है उत्कृष्ट योगदान
बुलंद आवाज ब्यूरो
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लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह को राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2019 से सम्मानित किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार उन्हें भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाएगा। यह पुरस्कार भूविज्ञान के क्षेत्र का सर्वोच्च पुरस्कार है। गुरुवार को इस पुरस्कार की घोषणा की गई।
10 वर्ष के कार्यों का होता है मूल्यांकन
खान मंत्रालय, भारत सरकार भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान करता है। इसका उद्देश्य मौलिक भूविज्ञान के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों और उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और टीमों को सम्मानित करना है। यह पुरस्कार पिछले दस वर्षों में भारत में भूविज्ञान क्षेत्रों के अधिकांश भाग के लिए किए गए कार्यो के माध्यम से किए गए योगदान के आधार पर दिया जाता है।
नदी-झीलों का किया क्रमवार अध्ययन
प्रो. ध्रुवसेन सिंह ने भू-पर्यावरण अध्ययन के लिए पुरावातावरण, जलवायु परिवर्तन और मानसून परिवर्तन शीलता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए नदियों, ग्लेशियरों और झीलों का विशेष अध्ययन किया है। प्रो. सिंह द्वारा भारत में हिमालय और गंगा के मैदान में और आर्कटिक में भी हिमनदों, नदी और झीलों का क्रमवार अध्ययन करके पुराजलवायु और पर्यावरण का विश्लेषण किया गया है । उन्होंने अपने अध्ययनों में यह वर्णन किया है कि गंगोत्री ग्लेशियर के तेजी से पीछे हटने का कारण इसकी अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं और केवल ग्लोबल वार्मिंग ही इसके लिये जिम्मेदार नहीं है। इसके अतिरिक्त गंगोत्री ग्लैशियर के पीछे हटने की दर लगातार घट रही है जो 1970 में 38 मीटर प्रति वर्ष से 2022 में 10 मीटर प्रति वर्ष हो गई है। जो ग्लोबल-वार्मिग के अनुसार नहीं है।
केदारनाथ त्रासदी की विवेचना
प्रो. सिंह ने अपने अध्ययनो में केदारनाथ त्रासदी के कारण और निवारण की भी विवेचना की है। गंगा के मैदान में, पुराजलवायु के लिए झीलों का विश्लेषण किया है। इसके परिणाम स्वरूप क्षेतिज कटान को एक स्वतंत्र खतरे के रूप में बताया है जो कि नदी जनित प्राकृतिक आपदा में एक अंतर्राष्ट्रीय योगदान है। प्रो. सिंह ने एक छोटी नदी बेसिन, छोटी गंडक का संपूर्ण भूवैज्ञानिक विश्लेषण किया। वह भारत के प्रथम एवं द्वितीय आर्कटिक (उत्तरी धुव क्षेत्र) अभियान दल 2007, 2008 के सदस्य रह चुके हैं। विज्ञान रत्न, शिक्षकश्री, सरस्वती सम्मान से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित हैं।