खबर का असर : लौटाया गया चेक ही कर दिया क्लियर
24 May 2022
---बुलंद आवाज इम्पैक्ट---
-खबर चलते ही यूनियन बैंक व पोस्ट आफिस के अफसरों ने दूर कर दिया फाल्ट
-आइएमए अध्यक्ष की पत्नी को चेक वापसी के नाम पर काटी रकम का इंतजार
-बैंक में प्रार्थना पत्र देकर वापस पा सकते हैं रकम : मुख्य प्रबंधक एसबीआइ
बृजेश यादव
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मऊ : बुलंद आवाज के जिले में पिछले दो साल से पोस्टआफिस व बैंक के खेल में उपभोक्ताओं के लुटने की खबर चलाये जाने के चंद घंटे बाद ही असर हो गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.गंगासागर सिंह की पत्नी के नाम पोस्टआफिस से जारी जिस चेक को यूबीआइ ने चेक जारी करने वाले पोस्टमास्टर की कमी बताकर वापस कर दिया था, वह क्लियर कर खाते में रकम भेज दी गई। अब श्रीमती सिंह को दोनों चेक को वापस करने के नाम पर काटे गये प्रति चेक 295 रुपये वापस मिलने का इंतजार है। इस संबंध में पोस्टआफिस का चेक एसबीआइ का होने के नाते उनके मुख्य प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अपने संबंधित बैंक में प्रार्थना पत्र देंगे तो कटी रकम उनके खाते में वापस आ जाएगी।
लाकडाउन से शुरु हुई समस्या
मेहनत से कमाई गई गाढ़ी रकम का कुछ हिस्सा बचाकर जिले के हजारों लोग पोस्टआफिस में आरडी चलाते हैं। इसमें एजेंट के माध्यम से हर महीने निर्धारित रकम जमा करते हैं। कुछ सालों में समयावधि पूरी होने पर पोस्टआफिस द्वारा ब्याज के साथ उनकी रकम का भुगतान किया जाता है। बैंकों की तुलना में लोगों का अपनी पूंजी सुरक्षित रहने का पोस्टआफिस पर बड़ा भरोसा रहता है। पोस्टआफिस द्वारा पहले समयावधि पूरी होने पर अपने यहां से नकद भुगतान किया जाता था। कोरोना काल में पहली बार लाकडाउन लगने के साथ ही 20 हजार से अधिक की धनराशि के भुगतान के लिये चेक काटा जाने लगा। अप्रैल 2022 से चेक कटने के नियम के बाद से ही उपभोक्ता समस्या व आर्थिक दोहन का शिकार होने लगे।
चेक दोबारा जमा करने पर हो गया क्लियर
आइएमए अध्यक्ष डा. गंगासागर सिंह प्रधान डाकघर में खुद व अपनी पत्नी के नाम से आरडी चलाते थे। वह एजेंट माधुरी गुप्ता के जरिये हर माह निर्धारित रकम जमा करते रहे। इसके अलावा डा.सिंह के पत्नी के नाम से एनएससी (राष्ट्रीय बचत पत्र) में भी रकम इन्वेस्ट की गई थी। कुछ समय पहले डा.गंगासागर सिंह के आरडी की समयावधि पूरी हुई तो एजेंट ने उन्हें पोस्टमास्टर द्वारा जारी स्टेट बैंक का चेक लाकर दिया। डा.सिंह ने अपने नाम का चेक यूनियन बैंक में अपने खाते में लगाया तो काफी समय तक वह क्लियर नहीं हुआ, जबकि जिस समय उन्होंने चेक लगाया, उस समय उन्हें रुपयों की बहुत जरुरत थी। रकम तो उन्हें समय पर मिली नहीं, कुछ दिन बाद रिफर टू ड्रावर (चेक काटने वाले की कमी) लिखकर चेक को वापस कर दिया गया। चेक वापस करते समय डा.सिंह के खाते से कोई चार्ज तो नहीं कटा, लेकिन उन्हें मानसिक व समय गंवाने की परेशानी झेलनी पड़ी। पोस्टमास्टर ने बैंक की कमी बताकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद लौटाये गये चेक को ही डा.गंगासागर सिंह ने दोबारा अपने खाते में लगाया तो वही चेक क्लियर हो गया और उनके खाते में रकम भी आ गई।
खबर छपने के बाद भंज गया चेक
पिछले महीने डा.सिंह की पत्नी के नाम की आरडी व एनएससी की भी समयावधि पूरी हो गई। एजेंट माधुरी गुप्ता ने पोस्टआफिस से उनकी पत्नी के नाम दो चेक लाकर दिया। इस चेक को यूनियन बैंक के उनके खाते में लगाया गया तो रिफर टू ड्रावर लिखकर रिर्टन किया गया। साथ ही 13 मई 2022 को पहले चेक को लौटाने के एवज में बैंक ने श्रीमती सिंह के खाते से 295 रुपये काट लिया। इसी तरह 20 मई 2022 को दूसरे चेक को वापस करने के नाम भी उतनी ही धनराशि काट ली गई। पोस्टआफिस व बैंक के बीच चल रहे खेल में चीटिंग के शिकार हुए पति-पत्नी हैरान व परेशान होकर रह गये। रुपये मिले ही नहीं और चेक भंजाने के चक्कर में प्रति चेक 295 रुपये चले जाने के शिकार अकेले डा.गंगासागर सिंह की पत्नी ही नहीं हैं, पिछले दो साल में हजारों लोग इस खेल के शिकार हुए हैं। डा.गंगासागर सिंह ने साक्ष्य के तौर पर बुलंद आवाज को अपनी पत्नी के बैंक खाते के पासबुक की छायाप्रति भी उपलब्ध कराई है, जिसमें साफ-साफ चेक वापसी के नाम पर 295 रुपये काटा जाना दर्शाया गया है। इस खबर को 23 मई 2022 की दोपहर बुलंद आवाज ने फ्लैश किया। खबर चलते ही हरकत में आए अफसरों ने दोबारा जमा किये गये श्रीमती सिंह के उसी चेक को क्लियर कर उनके खाते में धनराशि भेज दी। रात 12 बजे के बाद उनके मोबाइल पर खाते में चेक की राशि आने का मैसेज आ गया।