लाइव रिपोर्ट : जन्मभूमि पर बिफर पड़े यूपी के मुख्य सचिव
22 Apr 2022
-जिस स्कूल में दुर्गाशंकर मिश्र ने की है प्रारंभिक पढ़ाई, उसी में नहीं मिली सफाई
-प्रधानाध्यापक सना ने चीफ सेक्रेटरी के समक्ष खोल दी दूषित पानी पीने की पोल
-बीएसए डा.संतोष सिंह को सुधार का दिया एक मौका, जुलाई में नहीं करेंगे माफ
-बच्चों के बीच जाकर जाग गया बचपन, अध्यापक व नौनिहालों से पढ़वाई कविता
बृजेश यादव
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पहाड़ीपुर (मऊ) : यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र शुक्रवार को अपनी जन्मभूमि पर थे। वैसे तो मधुबन तहसील के अपने गांव पहाड़ीपुर में अपनी चाची की तेरहवीं में आए थे, लेकिन अपने बचपन की प्रारंभिक पढ़ाई के स्कूल को देखे बिना नहीं रह सके। अपने घर पर रुकने के कुछ समय बाद ही उनके कदम बरबस ही निकल पड़े गांव की ओर। वह बचपन की अपनी यादों को संजोये पहुंच गये प्राथमिक विद्यालय पहाड़ीपुर। खुद जहां शिक्षा ग्रहण कर यूपी के प्रशासनिक अधिकारी के सबसे बड़े पद को सुशोभित कर रहे उसी स्कूल की दुर्दशा देख बीएसए डा.संतोष सिंह पर बिफर पड़े। अतिरिक्त कक्ष में लगे कूड़े के ढेर व दीवारों में लगी सीलन उन्हें टीस दे गई। रही सही कसर महिला प्रधानाध्यापक सना ने दूषित पानी पीने की विवशता बताकर पूरी कर दी। इन अव्यस्थाओं को उन्होंने अंदर से महसूस करते हुए जबर्दस्त नाराजगी जाहिर की। खैर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को उन्होंने एक मौका दिया। कहा जुलाई में फिर गांव आऊंगा। उस समय उनके बचपन का स्कूल दुरुस्त नहीं मिला तो रिटायर कर दूंगा।
कुशलक्षेम के बाद निकल पड़े कदम
दुर्गा शंकर मिश्र के अपनी माटी पर आने का प्रोटोकाल एक दिन पहले ही जिले में आ चुका था। पूरा प्रशासनिक अमला शुक्रवार की सुबह से यही मिन्नत कर रहा था कि कहीं उन पर मुख्य सचिव की नजर टेढ़ी न हो जाए। समूचे जिले की निगाह भी उनके आगमन पर ही टिकी थी। मुख्य सचिव सुबह लगभग 10 बजे अपनी जन्मभूमि पहाड़ीपुर पहुंचे। यहां पैतृक निवास पर रुके। टोला-महल्ला के लोगों से कुशलक्षेम हुई। कुछ ही देर बाद उनके कदम बढ़ चले गांव की आबोहवा लेने।
अपने प्रारंभिक स्कूल को किया प्रणाम
मुख्य सचिव जा पहुंचे प्राथमिक विद्यालय पहाड़ीपुर। उन्होंने खुद के प्रारंभिक स्कूल को प्रणाम किया। स्कूल का जायजा लेते हुए वह बताने लगे कि मेरी भी प्रारंभिक पाठशाला यही रही है। शिक्षा विभाग के अफसर जहां उन्हें न पहुंचने की मन ही मन विनती कर रहे थे, वह वहीं पहुंच गये। वह था स्कूल का अतिरिक्त कक्ष। यहां लगे कूड़े का अंबार व सीलन देखकर वह नाक-भौं सिकोड़े। इसके बाद सीधे तरेरती हुई आंखों से देखा बीएसए की ओर। इसके बाद वह अपनी पहली पाठशाला के शौचालय में जा पहुंचे। वहां न तो फ्लश था और न ही टाइल्स लगी थी। मातहत उनके हाव-भाव से ही उनकी नाराजगी का आंकलन कर सकते में आ गये।
बच्चों के बीच पहुंचते ही बन गये गुरुजी
इसके बाद कक्षा पांच के कक्ष में पहुंचते ही दुर्गाशंकर मिश्र ने गुरुजी का दायित्व संभाल लिया। यहां प्रोजेक्टर के माध्यम से कविता पढ़ाई जा रही थी। बच्चों के साथ-साथ उन्हें पढ़ा रही महिला अध्यापक से भी कविता पढ़वाई। बच्चों का परफारमेंस देख खुश हो गए। प्रोजेक्टर के माध्यम से घर व गुलाब का फूल बनवाकर नगमा खातून व अफसा खातून की पीठ थपथपाई। इसके बाद पहुंचे कक्षा चार व तीन में। यहां बच्चों को खुद भी इस स्कूल का उन्हीं की तरह कभी छात्र रहने की बात बताते हुए प्रेरणादीय बातें बताई तो बच्चों ने खूब तालियां बजाई तो बच्चों का उत्साहवर्धन करने को वह भी ताली बजाने से पीछे नहीं रहे।
प्रधानाध्यापक से टैली नहीं खाई बीएसए की बात
इसके बाद मुख्य सचिव पहुंचे स्कूल के कार्यालय में। यहां उन्होंने अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप, एडी बेसिक अमरनाथ राय, बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. संतोष कुमार सिंह, खंड शिक्षाधिकारी शेष बहादुर सरोज, मनोज तिवारी, प्रधानाध्यापक सना संग बैठक की। सना से पूछा कि आपके विद्यालय में क्या कमी है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि सबसे पहले तो पीने के पानी की व्यवस्था सही नहीं है। हैंडपंप चलाकर बाल्टी या मग में रखा गया पानी आधे घंटे में पीला पड़ जाता है। इसके बाद मुखाबित हुए बीएसए से। पूछा कि विद्यालय में क्या-क्या कमी है जो मानक के अनुरूप नहीं है। पहले से ही डरे-सहमे बीएसए इस सवाल पर हिचकिचाए। डरते-डरते जो बताया वह बात प्रधानाध्यापक की बात से टैली नहीं खाई। फिर क्या था मुख्य सचिव बेतहाशा नाराज हो गए। बीएसए से पूछ बैठे कि आप की सर्विस कितने दिन और बची है। बीएसए ने कांपते हुए बताया कि सिर्फ चार साल। इसके बाद उन्होंने पूछा जलनिगम से कौन है। एक अफसर बोले जी सर, उनसे मुख्य सचिव बोले यहां के पीने का जल शुद्ध होना चाहिए। जवाब मिला, जी सर।
अपने गुरु मिश्रीराम की नसीहत को दोहराया
मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एक मौका देते हुए कहा कि जुलाई से पहले यह स्कूल आदर्श दिखना चाहिए। स्कूल से दिल से जुड़ाव की वजह भी बताई कि इस विद्यालय में मैंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त किया है। प्रधानाध्यापक सना से कहा कि आप बच्चों को भोजन करना उनके कक्ष में ही बताएं। अपने समय का किस्सा बताते हुए कहा कि इसी विद्यालय में मैं जब पढ़ता था तो बगल के गोपालपुर गांव के मिश्रीराम गुरुजी थे। वह मुझको पढ़ाए हैं। गुरुजी ने सीख दी थी कि चना खाकर गन्ना का जूस पीना चाहिए। मूंगफली खाकर छिलका सीधे कूड़ेदान में फेंकना चाहिये। वह बात मेरे दिमाग में आज तक बैठी हुई है। यह बच्चे एकदम साफ-सुथरे विचारों से आपके पास आए हैं। इनको पूरे मनोयोग के साथ शिक्षा बांटे।