मऊ में गुलदस्ता बज्म सोखन का अनावरण, हिंदी व उर्दू पर विमर्श
29 Mar 2022
-पत्रकारों को निष्पक्ष पत्रकारिता करने पर दिया गया जोर
-साहित्यक संस्था ने किया अनूठा काम : अरशद जमाल
बुलंद आवाज ब्यूरो
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मऊ : बज़्म सोखन पुरामरूफ के मासिक सत्रों में प्रस्तुत एक वर्षीय चयनित भाषणों को पुस्तक रूप में गुलदस्ता बज़्म सोखन के नाम से प्रकाशित किया गया। पुस्तक का समारोह पूर्वक विमोचन किया गया। विशिष्ट अतिथि पूर्व पालिकाध्यक्ष अरशद जमाल ने कहा कि यह मेरे लिए आश्चर्य और खुशी की बात है कि साहित्यक संस्थ बज्म सोखन ने सत्रों में प्रस्तुत भाषणों और लेखों को संग्रह के रूप में प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि हमें उर्दू के प्रति प्रेम के साथ-साथ हिंदी को भी बढ़ावा देना चाहिए। भाषा का कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने कहा कि बज़्म सोखन ने अपनी मासिक कविता और साहित्यिक सत्रों में पढ़े जाने वाले शब्दों को एक पुस्तक के रूप में संकलित करके अनूठा काम किया है। पत्रकारिता ने भी उर्दू के अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने संकलनकर्ता सफी-उर-रहमान सफी, अबू हुरैरा युसेफी और अफजल हम्माद को बधाई दी।
ईमानदारी व निष्ठा की जरुरत
अध्यक्षता कर रहे आजमगढ़ के इस्लामी विश्वविद्यालय के वयाख्याता मौलाना खतीब-उर-रहमान नदवी ने कहा कि इबादत के हर काम के लिए ईमानदारी और निष्ठा की जरूरत होती है। जब पत्रकार अपनी कलम चलाता है तो उसे एहसास होना चाहिए कि मैं अल्लाह के सामने हूं और अल्लाह मेरे सामने है। दुखी पत्रकार को ईमानदारी से स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए और कलम उठा लेनी चाहिए। हर पत्रकार निष्पक्ष होना चाहिए। पत्रकारिता और कविता बहुत अच्छी बात है। हमारे विद्वानों की भी पत्रकारिता और कविता में रुचि रही है। इसलिए हमें अखबार खरीदना और पढ़ना चाहिए और हिंदी के साथ-साथ उर्दू पर भी ध्यान देना चाहिए।
उर्दू की लिपि मदरसों में सुरक्षित
कई पुस्तकों के लेखक डॉ.शकील अहमद ने कहा कि सत्रों के माध्यम से उर्दू का प्रचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे न केवल उर्दू के प्रति प्रेम बढ़ेगा बल्कि सही उच्चारण भी होगा। आज उर्दू जिंदा है और उसकी लिपि मदरसों से सुरक्षित है। उन्होंने पत्रकार अबु हुरैरा युसिफी को विशेष रूप से बधाई दी और कहा कि कुछ समय पहले उन्होंने पुरा मरूफ से बच्चों की पत्रिका महनामा खुशबू प्रकाशित की थी। देवबंद से लेकर हैदराबाद तक इनके शोध और पत्रकारिता की गतिविधियां शहर की चर्चा हैं।
किताबें प्रकाशित करना जुए के समान
मौलाना अंसार अहमद मारुफी ने कहा कि आज की दुनिया में किताबें प्रकाशित करना जुए के समान है। उर्दू पत्रकारिता के दो सौ साल पूरे होने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि दो सदियों में उर्दू पत्रकारिता में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन उर्दू पत्रकारिता ने अपना पत्रकारिता सिद्धांत तैयार कर लिया था। इसमें ईमानदारी और सच्चाई सर्वोपरि थी। उर्दू पत्रकारिता आज भी उसी राह पर चल रही है।
मौलाना नौशाद अहमद कासमी ने सराहा
निदेशक मौलाना नौशाद अहमद कासमी ने कहा कि नियमित मासिक सत्रों में कलाम को पुस्तक रूप में संकलित और प्रकाशित करने के लिए बज़्म-ए-सोखन द्वारा की गई व्यवस्था सराहनीय है। इस तरह पूरे शब्द को संरक्षित किया जाएगा और नई पीढ़ी को पारित किया जाएगा।
इनकी रही प्रमुख उपस्थिति
इस मौके पर पूर्व प्रधान कुर्थीजाफरपुर जफर अहमद, मोहम्मद अब्दन आबिद, दानिश अथीर, मंज़र जमील आशिक, याकूब फलक, कामरान आदिल, शमीम सादिक, मुल्ला हुसैन अहमद, शकील अहमद, मौलाना शमशाद, अटल कुमार, मोती सागर, शाकिर अली, युसूफ नदीम, मोहम्मद इरफान गढ़हस्त, निसार अहमद, मोहम्मद अजहर, इजहार गढ़हस्त, अंसार अहमद प्रधान आदि मौजूद थे।