कविता : वंशवाद अब डोल रहा है
23 Mar 2022
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है
जिसके लिए मैंने की लड़ाई, जेल गया और लाठी खायी
आजादी के खातिर मैंने, सूखी आधी रोटी खायी
देख दुर्दशा राजनीति की, मेरा खून खौल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
अंग्रेजों के शासन में भी, कभी न ऐसा होता था
यहाँ तो अब सरकारों में, नेता का बेटा होता है
अजब यहाँ की रीति बन गयी, गरीब बेचारा रोता है
दिनभर मेहनत करने पर भी, रात को भूखा सोता है
भ्रष्टाचार की तुरपाई को, कलम से मेरी खोल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
सैनिक देश की रक्षा खातिर, रोज शहीद हो जाता है
और नेता हिन्दू - मुस्लिम , नफरत का बीज बो जाता है
इन अफवाहों से देश में, दंगा रोज हो जाता है
नेता बैठ के एसी में, सत्ता की मौज़ उड़ाता है
लानत है उस नेता पर, जो शहादत को तौल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
बेरोजगारी और अशिक्षा, भ्रष्टाचार की धूरी है
लेकिन इन सब मुद्दों से नेताओं की क्यों दूरी है
चुनावों में अब जातियों की, जाति बतायी जाती है
भारत में अब ऐसे ही, सरकार बनाई जाती है
लोकतन्त्र में जातिवाद का, कौन जहर ये घोल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
युवा नए नेतृत्व की खातिर, नए लोग को खोज रहा
नेता अपनी औलादों को, उसके ऊपर बोझ रहा
सत्ता की थाली को, जनता के आगे से खींच रहा
अपने परिजन-रिश्तेदार को, राजनीति से सींच रहा
नेताजी के पुत्र के आगे , युवारत्न बेमोल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
दल-बदल की राजनीति में, नहीं किसी को है संकोच
जितना नेता की गलती है, उतना ही पार्टियों का दोष
छोटे-छोटे मुद्दों पर, संसद में करते झूठा रोष
बेरोजगारी के सवाल पर, नेता जी बस हैं खामोश
देश में बढ़ते वंशवाद का, जनता का भी रोल रहा है
देश का युवा बोल रहा है, वंशवाद अब डोल रहा है।
प्रस्तुति : नीरज कुमार
पट्टी मुहम्मद उर्फ काजीपुरा, घोसी, जनपद मऊ।