मऊ के लाल : खेल ने संवारा दीपिका का कैरियर, देश भर में बनी पहचान  

27 Feb 2022

---बुलंद आवाज विशेष---
-राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पा चुकी हैं तीन गोल्ड मेडल, गोरखपुर रेलवे में हैं वरिष्ठ लिपिक
-बाल्यावस्था में सहेलियों संग गई स्टेडियम तो राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुड़ गया अटूट नाता
-साल भर में ही निखरकर सामने आई प्रतिभा, लखनऊ स्पोर्ट्स हास्टल के लिए सलेक्शन 

बृजेश यादव 
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मऊ :
अपने साप्ताहिक कालम मऊ के लाल में आज हम आपको परिचित करा रहे हैं दीपिका राय से। गांव की माटी में पली-बढ़ी दीपिका ने बाल्यावस्था में हॉकी को अपनाया तो हॉकी ने भी उन्हें अपनाते हुए मुकाम तक पहुंचाया। राष्ट्रीय खेल ने उन्हें देश भर में पहचान तो दिलाई ही, प्रतिभाशाली दीपिका का कैरियर भी संवार दिया। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल पा चुकी दीपिका खेल के दम पर पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर में वरिष्ठ लिपिक की नौकरी कर रही हैं। बाल्यावस्था में शहर के बलिया मोड़ स्थित डा.भीम राव अंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में अपनी सहेलियों की हॉकी की प्रैक्टिस देखने आई इस बिटिया ने हॉकी को अपना लिया। उसका सदा-सदा के लिये अटूट नाता बन गया। पूरी तन्मयता के साथ प्रैक्टिस में उतरी तो साल भर में ही परिणाम मिल गया। दीपिका का सलेक्शन वर्ष 2007 में केडी सिंह स्पोर्ट्स हास्टल लखनऊ के लिये हो गया। 
2012 में सीनियर टीम का बनी हिस्सा
लखनऊ हास्टल में सलेक्शन होने के बाद वहां अन्य जिलों के खिलाड़ियों का भी साथ मिला। सब जूनियर टीम में सलेक्ट होने का लक्ष्य निर्धारित कर प्रैक्टिस में जुट गई। यहां भी साल भर के अंदर ही उन्होंने अपना लक्ष्य पा लिया। वर्ष 2008 में उनका चयन हास्टल की सब जूनियर टीम के लिये हो गया। दीपिका अपनी टीम से उड़ीसा सहित दो-तीन अन्य राज्यों में खेलने गई तो वहां भी अपना लोहा मनवाया। तीन साल तक सब जूनियर में शानदार प्रदर्शन के बाद उनका चयन 2011 में जूनियर टीम में हो गया। साल भर बाद ही वह 2012 में सीनियर टीम में स्थान बनाने में सफल रहीं।
आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल 
यूपी की सीनियर टीम में चयनित होने के बाद दीपिका को जो सम्मान मिला, उसे ध्यान में केंद्रित करते हुए उन्होंने प्रैक्टिस में और पसीना बहाना जारी रखी। खेल के दौरान अपनी एक-एक कमियों को पहचान कर उसे दूर किया। इसका असर यह हुआ कि वर्ष 2012, 2013 व 2014 में लगातार तीन साल उन्होंने आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल झटके। 2012 से 2016 में कुछ माह तक वह हास्टल की ओर से जूनियर व सीनियर दोनों टीमों के लिये निरंतर खेलती रहीं। 
2016 में मिली नौकरी, बनी रेलवे टीम का हिस्सा 
हॉकी ने 2016 में दीपिका राय को पूर्वात्तर रेलवे में लिपिक की नौकरी दिला दी। रेलवे ने उनकी प्रतिभा को परखा फिर अपनी टीम का हिस्सा बना लिया। बुलंद आवाज से बातचीत में दीपिका ने बताया कि गंवई परिवेश में पल-बढ़कर आज जिस मुकाम पर हूं, ऐसा लगता है जैसे अनमोल ख्वाब पूरा हुआ है। वह इसके लिये अपनी माटी पर निरंतर हौसला बढ़ाकर सफलता को प्रेरित करते रहने वाले सबसे पहले कोच ओमेंद्र सिंह के प्रति कृतज्ञ हैं और आजीवन रहेंगी। उन्होंने बड़े ही बेबाकी से बताया कि खेल व प्रैक्टिस के साथ-साथ पढ़ाई को अर्जेस्ट करना काफी कठिन रहा। 
ग्वालियर यूनिवर्सिटी से ग्रहण की उच्च शिक्षा 
हॉकी टीम की सेंटर की प्लेयर दीपिका राय का जन्म 15 जुलाई 1996 को कोपागंज ब्लाक क्षेत्र के सहरोज गांव में हुआ। उनके पिता रामदरश राय का साया तभी उठ गया, जब वह महज पांच-छह साल की थीं। अपने पिता की पांच संतानों (दो बेटे व तीन बेटियां) में वह सबसे छोटी हैं। दीपिका के शिक्षा की शुरुआत मां गायत्री शिक्षा निकेतन डांड़ी चट्टी से हुई। इस स्कूल से थोड़ी दूरी पर स्थित केएन कांवेंट स्कूल से कक्षा आठ तक की शिक्षा ली। यहीं पढ़ने के दौरान उनकी कुछ फ्रेंड्स स्टेडियम में हॉकी की प्रैक्टिस करने जाती थीं। एक दिन वह भी गई तो फिर उन्होंने भी हॉकी को ही अपनाने की ठान ली। उन्हें घर-परिवार का पूरा सहयोग मिला। कक्षा आठ की पढ़ाई पूरी करते ही लखनऊ हास्टल के लिये चयन होने के बाद उन्होंने राजधानी के बालाकदर स्थित बालिका विद्या निकेतन से कक्षा नौ से 12वीं तक की पढ़ाई की। मध्यप्रदेश के ग्वालियर यूनिवर्सिटी से स्नातक व स्नातकोत्तर किया।   



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