अविवाहित लता मंगेशकर को भी हुआ था प्रेम 

06 Feb 2022

-राजस्थान के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले थे प्रेमी राज सिंह
-लता के साधारण परिवार से जुड़े होने के चलते नहीं हुआ विवाह
-शादी न होने के बावजूद कम न हुई चाहत, आजीवन रहा जुड़ाव 

रजनीश एस राय 
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मुंबई :
चिरनिद्रा में सो चुकीं सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर अपने जीवन की यादें सदा-सदा तक छोड़ गईं। वह जीवन भर अविवाहित भले रहीं, लेकिन उन्हें भी प्यार हुआ था। उनके प्रेमी राज सिंह राजस्थान के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले थे। लता के साधारण परिवार से जुड़े होने के चलते दोनों लोग चाहत के बावजूद विवाह के बंधन में नहीं बंध सके। शादी न होने के बाद भी उनकी चाहत कम नहीं हुई। आजीवन जुड़ाव बना रहा। उनके प्रेमी राज सिंह का वर्ष 2009 में निधन हो गया। 
इंदौर में हुआ था जन्म 
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर हुआ था। इनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक भी थे। यही वजह रही कि लता को संगीत विरासत में मिली। लता मंगेशकर का पहला नाम हेमा था। जब वह 5 साल की हुईं तो उनके माता-पिता ने उनका नाम लता रख दिया। दीनदयाल मंगेशकर की पांच संतानों (एक पुत्र, चार पुत्रियां) में लता सबसे बड़ी थीं। 
प्यार से मिट्ठू पुकारते थे स्वर कोकिला को 
लता मंगेशकर के गानों को पसंद करने वाले लोग पुरी दुनिया में हैं। वह पूरी जिंदगी अविवाहित रहीं। बावजूद इसके उन्हें राजस्थान के डूंगकरपुर के राजघराने के राज सिंह से प्यार हुआ था। शादी के बंधन में न बंधने के बाद भी दोनों के बीच प्यार व चाहत आजीवन बनी रही। राज उन्हें प्यार से मिट्ठू बुलाते थे। लता और राज सिंह की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, इसका अंदाजा तो उन दोनों को भी नहीं था। राज लता के गानों के दीवाने थे। वह अपनी जेब में सदैव टेप रिकार्डर रखते थे और लता के गाने सुनते थे। 
महाराजा लक्ष्मण सिंह के छोटे बेटे थे राज 
राज सिंह डूंगरपुर के महाराजा लक्ष्मण सिंह के छोटे पुत्र थे। राज सिंह ने 1955 से 1971 के दौरान प्रथम श्रेणी का क्रिकेट मैच खेला था। राज 1959 में एलएलबी की पढ़ाई करने मुंबई आये थे। उसी साल से वह राजस्थान रणजी टीम के हिस्सा बने थे। मुंबई के क्रिकेट मैदान में राज की मुलाकात लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर से हुई। दोनों में दोस्ती हो गई। 
लता के भाई राज को लेकर आये थे घर 
हृदयनाथ दोस्ती के बाद राज को अपने घर लेकर जाने लगे। बताया जाता है कि राज सिंह पहली मुलाकात में ही लता से प्यार कर बैठे थे। लता गानों की रिकार्डिंग में व्यस्त रहती थीं तो राज उनसे न मिल पाने की कमी उनके गाने सुनकर करते थे। लता को जब गाने से फुरसत मिलती तो दोनों मिलते थे। कई चैरिटी में दोनों ने साथ काम भी किया। 12 सितंबर 2009 को राज का निधन हो गया। जीवन के अंतिम क्षण तक वह लता को चाहते रहे। 
 



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