मऊ के लाल : बेसहारों के सहारा हैं ठाकुर अमित राठौर

19 Dec 2021

---बुलंद आवाज विशेष---
-उत्तराखंड में बदल चुके हैं दर्जनों भिखारियों व दिव्यांगों की जिंदगी, जोड़ दिया स्वरोजगार से
-रुद्रपुर में प्रतिदिन असहाय व अनाथ ढाई से तीन सौ लोगों को मुफ्त भोजन देकर भरते हैं पेट
-पीपुल सपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में चार हजार इंजिनियर्स जोड़ संजो रखा परिवार
-जरुरतमंदों को जागृति ट्रस्ट उपलब्ध कराता है मु्फ्त ब्लड, झुग्गी-झोपड़ी वालों से अटूट प्रेम

बृजेश यादव
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मऊ : बुलंद आवाज के साप्ताहिक कालम मऊ के लाल में आज हम आपको परिचित करा रहे हैं ठाकुर अमित राठौर से। अमित राठौर वह सख्शियत हैं जिनकी आयु महज 38 वर्ष है लेकिन कार्य व सामाजिक सरोकार के प्रति संकल्प व समर्पण 80 बरस की आयु वालों की कल्पना करने जैसा है। अपनी माटी के इस लाल की उत्तराखंड के रुद्रपुर में जबर्दस्त ख्याति है। वहां वह बेसहारों के सहारा के रुप में विख्यात हैं। काम भी उनके ख्याति दिलाने वाले ही हैं। वह अब तक दर्जनों भिखारियों व दिव्यांगों की जिंदगी में बदलाव ला चुके हैं। भीख मांगने पर निर्भर रहने वाले आज खुद का रोजगार कर सम्मान के साथ जी रहे हैं। अमित रुद्रपुर में प्रतिदिन ढाई से तीन सौ अनाथ, असहायों का पेट भरकर पुण्य कमाते हैं। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाने वाले अमित ने करीब चार हजार इंजिनियर्स को जोड़कर व्यवसायिक परिवार संजो रखा है। वह जरुरतमंदों को मुफ्त में ब्लड उपलब्ध कराते हैं। झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों से अटूट प्यार करने वाले राठौर हर रविवार उनके बीच जाकर असहायों को आवश्यक वस्त्र प्रदान करते हैं।
2016 में दिया भोजन सेवा को विस्तार
गरीबों, असहायों, निराश्रितों की मदद करने का बचपन से जज्बा लिये ठाकुर अमित राठौर उत्तराखंड में 2006 में कमाने गये। चार साल में अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद घर-परिवार चलाने की जरुरतें पूरी होने के बाद थोड़ी बहुत आय बचती तो वह उससे गरीबों की मदद करते। 2010 से अकेले मदद करते रहने वाले अमित ने 2016 में इसे विस्तार दे दिया। उन्होंने जागृति ट्रस्ट बनाया। उससे अपने ही तरह असहायों की मदद करने वालो को जोड़कर टीम खड़ी की। इसके बाद रुद्रपुर में प्रतिदिन दोपहर में निःशुल्क भोजन सेवा शुरु हुई, जो निरंतर आज भी जारी है। वर्तमान समय में प्रत्येक दिन ढाई से तीन सौ लोगों को भर पेट भोजन कराया जाता है।
भिक्षाटन करने वाले बेचने लगे बैलून, खिलौने
अमित राठौर किसी को भीख मांगते हुए देखते तो उन्हें काफी अफसोस होता। भिखारियों की जिल्लत व जलालत भरी जिंदगी देख उन्हें दया भी आती। उन्होंने सात-आठ साल पहले मन में ठाना कि भीख मांगने वाले भी उनकी तरह ही मानव हैं और उनसे जितना हो सकेगा, वह उनके लिये करेंगे। इसके बाद उनकी टीम ने दर्जनों भिखारियों से संपर्क साधा। उन्हें उनके कृत्य के लिये धिक्कारा, उनके अंदर के स्वाभिमान को जगाया। उनमें सम्मान के साथ जीने का जज्बा भरकर जागरुक किया। अब तक दर्जनों भिखारियों व दिव्यांगों को हास्पिटल, मार्केट में जगह-जगह आर्थिक मदद कर बैलून, खिलौने, फुल्की (पानी-पूरी का दाना) आदि की दुकान खुलवाई। भोजन उपलब्ध कराने लगे। अब वह सभी साफ-सुथरा और सम्मान के साथ खुद का रोजगार करते हैं।
30 मिनट के भीतर डोनेट कराते ब्लड
ठाकुर अमित राठौर की सोच है कि मानव सेवा करके ही मनुष्य योनि में मिले जन्म, जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। वह उत्तराखंड में इमरजेंसी हेल्प लाइन बना रखे हैं। यह हेल्पलाइन किसी मरीज को ब्लड की आवश्यकता की जानकारी होते ही सक्रिय हो जाती है। सूचना मिलने के 30 मिनट के अंदर संबंधित अस्पताल में मुफ्त में ब्लड या प्लाज्मा डोनेट कराती है। यह सेवा जागृति ट्रस्ट के जरिये उन्होंने अपनी जन्मभूमि मऊ में भी शुरु कर रखी है।
झुग्गी-झोपड़ी के दस बच्चों को कराते हैं पढ़ाई
अमित को झुग्गी-झोपड़ी वालों से बेहद लगाव है। यही वजह है कि वह या उनकी टीम प्रत्येक रविवार को रुद्रपुर में उन गरीब परिवारों के बीच जाती है, जो असहाय हैं। निराश्रितों को आवश्यक वस्त्र प्रदान किया जाता है। गरीब परिवारों की आठ बच्चियां व दो बच्चों समेत 15 बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च अमित उठाते हैं। इन बच्चों को कक्षा एक से 12वीं तक की पढ़ाई के दौरान ड्रेस, फीस, किताब-कापी, बैग समेत शिक्षा संबंधी सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले रखी है। उन्होंने मऊ में भी इकाई खोल रखी है। इस इकाई ने अपने खर्च पर एक गरीब बिटिया की शादी रचाई। यहां की इकाई 2022 में रुद्रपुर की तरह ही सक्रिय हो जाएगी।
100 परिवार को हर माह मुहैया करायेंगे 21 किलो खाद्यान्न
समाजसेवा को आत्मसात कर चुके अमित नये साल की नई सुबह की नई किरण के साथ अपनी जन्मभूमि पर नई सौगात देने का मन बना चुके हैं। उन्होंने बुलंद आवाज से बताया कि वर्ष 2022 में उनकी योजना है सौ निराश्रित परिवारों का राशन कार्ड बनाने की। वह राशन कार्ड संस्था का होगा। प्रत्येक कार्ड पर हर महीने 21 किलो राशन की किट प्रदान की जाएगी। इसमें आटा, चावल, दाल, चना, चायपत्ती व चीनी होगी। यह योजना वह रुद्रपुर में संचालित कर रहे हैं। नये साल में अपने जिले के लोगों को लाभांवित करेंगे।
एक करोड़ पेड़ लगाने का ले रखा है संकल्प
जागृति ट्रस्ट के अध्यक्ष ठाकुर अमित राठौर को पर्यावरण से भी बेहद लगाव है। उन्होंने वर्ष 2020 में मिशन एक करोड़ पेड़ संकल्प लिया। इस संकल्प के तहत पूरे देश में पेड़ लगाने ही नहीं, उनका संरक्षण कर पर्यावरण संतुलन बनाये रखने में सहभागी भी बनाना है। उत्तराखंड में हर दिन कहीं न कहीं पौधे लगाते रहते हैं। उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में भी हजारों पेड़ लग चुके हैं। यूपी के पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर में वन विभाग के अधिकारियों के सहयोग से संकल्प को मूर्त रुप देने का क्रम जारी है। इस अभियान से उनका जन्मस्थल भी अछूता नहीं है। घोसी, कोपागंज, मधुबन व बेल्थरारोड में सागौन, शीशम, आम, अमरुद, बरगद, पीपल आदि के 50 हजार पौधे रोपे जा चुके हैं। पेड़ लगाने के इच्छुक लोगों को मुफ्त में पौधे उपलब्ध कराने वाले अमित की बस एक शर्त रहती है कि पौधे लगाने के बाद, उसके संरक्षण, देखभाल व सींचने की 15 दिन की सेल्फी लेकर उन्हें भेजना होगा। इसका असर यह है कि किसान अपने खेत, दरवाजे पर अच्छे-खासे पौधे लगाये और उनकी रखवाली कर बड़ा भी कर रहे हैं। 2022 में मऊ जिले में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिये 50 लोगों की टीम भी खड़ी कर रखी है।
बैठे-बिठाये ही पौधों पर रख सकेंगे नजर
इंजिनियर्स के बीच रहने वाले अमित राठौर ने पौधों की वास्तविक स्थिति जानने का फार्मूला खोज निकाला है। यह हिंदुस्तान का ऐसा पहला प्रयोग होगा कि एक जगह बैठे-बिठाये ही पौधों पर नजर रखी जा सकेगी। अमित बताते हैं कि जीयो टैकिंग साफ्टवेयर डवलप हुआ है। इसके जरिये जिस जगह पर पौधे लगेंगे, उसकी तस्वीर मंगाकर साफ्टवेयर पर अपलोड कर दी जाएगी। उससे पौधों की वस्तुस्थिति का पता चलता रहेगा। तीन सिग्नल होंगे ग्रीन, एलो व रेड। ग्रीन सिग्नल बतायेगा कि पौधा सही स्थिति में है और उसका ग्रोथ हो रहा है। एलो सिग्नल यह बतायेगा कि पौधे के देखभाल की जरुरत है। रेड सिग्नल मिला तो समझ में आ जायेगा कि पौधे का अस्तित्व खत्म हो चुका है। वहां फिर से पौधरोपण की आवश्यकता है। इस साफ्टवेयर के जरिये देश भर में लगाये जाने वाले पौधों की निगरानी व देखभाल कर उनका विस्तार किया जा सकेगा।
उत्कृष्ट कार्य के लिये मिलती है सराहना, सम्मान
अमित को संतुष्टि इस बात से मिलती है कि उनके सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों के लिये बौद्धिक तबके से सराहना मिलती है। तमाम अवसरों पर उन्हें सम्मान दिया जाता है। अभी रुद्रपुर में 18 दिसंबर 2021 को सेना के सम्मान में हुए अमृत महोत्सव में मेजर जनरल ने उन्हें सम्मानित किया। कोरोना काल में लोगों को मदद पहुंचाने के उत्कृष्ट कार्य के लिये वहां के कैबिनेट मंत्री, विधायक व जिलाधिकारी सम्मानित कर चुके हैं।
पूर्वांचल के लोगों को देते हैं प्राथमिकता
स्नातक की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 2006 में अमित उत्तराखंड में रोजगार ढूंढने लगे। वहां उन्होंने विभिन्न फर्मों व फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड प्रोवाइड कराने की प्राइवेट एजेंसी खोली। इसके लिये उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में सिक्योरिटी गार्ड फिट नहीं मिलते तो कुछ को कंपनी वाले अनफिट करार दे देते। दो साल बाद उन्हें दूसरा प्लेटफार्म मिला तो उन्होंने इस एजेंसी को बंद कर दिया। इसके बाद खुद की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर टेक्नीकल इंजिनियर्स को भर्ती कर कंपनियों में उन्हें नौकरी दिलाने लगे। वर्तमान में पीपुल सपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जरिये उत्तराखंड व हिमांचल प्रदेश की कई नामी-गिरामी कंपनियों में उनके इंजिनियर्स कार्यरत हैं। उनकी कंपनी ने करीब चार हजार इंजिनियर्स को नौकरी दे रखा है। इनमें मऊ समेत पूर्वांचल के जिलों के लड़कों की बाहुल्यता है। अमित बताते हैं कि उनके यहां बीटेक किया हुआ मऊ का बंदा जाब मांगने आता है तो वह पहली प्राथमिकता होता है। इसके बाद पूर्वांचल के अन्य जिलों के युवाओं को प्राथमिकता देते हैं।
चंद्रापार गांव की जोलहपुरवा है जन्मभूमि
ठाकुर अमित राठौर का जन्म एक नवंबर 1983 को मधुबन तहसील क्षेत्र की चंद्रापार ग्राम पंचायत के जोलहपुरवा मौजे में हुआ। विजयशंकर सिंह एडवोकेट के दो बेटों ठाकुर अमित राठौर व ठाकुर अजीत राठौर में अमित बड़े हैं। उनके दोनों बेटे उत्तराखंड में कंपनी का काम संभालते हैं। विजयशंकर सिंह मऊ के अच्छे ठेकेदार भी रहे हैं। अमित ने कक्षा एक से 8वीं तक की पढ़ाई चिल्ड्रेन कालेज आजमगढ़ से की। कक्षा 9 से 12 तक शहीद इंटर कालेज मधुबन में पढ़े। इसके बाद ग्रेजुएशन करने वह उत्तराखंड चले गये। वहां हेमवंतीनंदन बहुगुणा विश्विद्यालय से स्नातक किया। स्नातक करने के बाद वह वहीं पर रोजगार की तलाश में जुट गये।



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