ये कैसा पुत्र मोह! अब 16वें का इंतजार, 13 लडकियां जिंदा

11 Aug 2015

दाहोद। एक ओर जहां सरकार पिछले कई सालों से यह मुहिम चला रही है कि हम दो और हमारे दो। लेकिन गुजरात के दाहोद जिले में झारीबुझी गांव में रहने वाले आदिवासी दम्पति ने बेटे की चाह में अब 15 बच्चों को जन्म दे चुकी है। और उन्हें अभी भी उम्मींद है कि अगली संतान लडका होगा। आदिवासी रामसिन्ह और कानू की शादी करीब 18 साल पहले हुई थी। उन्हें उम्मीद है कि उनका 16वां बच्चा लडका होगा। पुत्र मोह में इस सीमांत किसान के 12 जीवित लडकियां हो गई हैं, जबकि दो की मौत हो चुकी है। एक ल़डके का जन्म वर्ष 2013 में हुआ था। मगर, रामसिन्ह एक और पुत्र की लालसा की अपनी जिद छो़डने को तैयार नहीं है। उसकी पत्नी कानू चाहती हैं कि वह अपना गर्भाशय निकलवा दे।

कानू के मुताबिक, उन्होंने अपने पति से कहा कि उन्हें भगवान की इच्छा का सम्मान करना चाहिए, जिन्होंने एक पुत्र दिया है। हमें दूसरे पुत्र की प्राçप्त की जिद छो़ड देनी चाहिए। अब वह गर्भाश्य निकलवा देना चाहती हैं, क्योंकि उनका शरीर कमजोर हो गया है और वह अब एक और गर्भावस्था के लिए तैयार नहीं हैं। मगर, रामसिन्ह का कहना है कि एक और बेटी के जन्म के बाद पुत्र प्राçप्त के लिए एक आखिरी कोशिश करना अहम है। इस दंपति की सबसे ब़डी बेटी सेवांता 17 वर्ष की और नीरू 15 वर्ष की है। दोनों की शादी इस वर्ष मार्च में हो चुकी है। इसके बाद इस दंपति के सारंगा (14), हंसा (13), जोशना (12), रंजन (10), मीना (9), पायल (8), मोनी (7), हसीना (5), किंजल (4), बैगन (3) और विजय (18 महीने का) बच्चे हैं। इनमें से पायल, मोनी, हसीना व किंजल सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढती हैं। उनकी दो बेटियां काली व ओवंती की करीब सात साल पहले अज्ञात बीमारी से मौत हो गई थी। कानू इस डर से अपनी पति की इच्छा का विरोध नहीं कर पा रही है कि कहीं रामसिन्ह उसे छो़ड न दे। कानू ने बताया कि पहली सात गर्भावस्था के बाद जब वह ल़डके को पैदा नहीं कर पाईं तो उसके पति ने कहा था कि वह एक दूसरी औरत ले आएगा और ल़डके का पिता बनने के लिए उससे शादी कर लेगा।

कानू कहती है कि वह अनाथ है और पति से अलग नहीं होना चाहती थी। इसलिए वह पति के दबाव में उसका कहा मानने को मजबूर हो गई। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, दाहोद में लिंगानुपात 1000 बच्चों पर 948 लडकियों का है, जो कि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार लडकों पर 967 लडकियों का था। कानू के गांव में करीब 100 घर हैं और कई घरों में नौ बच्चे तक हैं।



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