जिंदगी के हैं यह सिद्धांत

05 Nov 2021

-जीवन है एक विज्ञान

डा.गंगासागर सिंह
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मऊ : जीवन एक विज्ञान है। जैसे विज्ञान सिद्धांतों पर चलता है, वैसे ही सफल जिंदगी सिद्धांतों पर चलती है। अवसरवादिता के हिसाब से बदलते असत्य सिद्धांतों से चलने वाली जिंदगी अंततः असफल हो जाती है। हमारे पूर्वज सिद्ध पुरुषों, महात्माओं ने जिंदगी का अध्ययन करके असंख्य जीवन के सिद्धांतों को खोज निकाला था। जिस पर चलकर मनुष्य सफलता की चोटी पर पहुंच सकता है।
सतत प्रयास से दूर हो सकते हैं अवगुण
जीवन जीने की एक कला है। कला का कोई अंत नहीं है। जैसे कलाकार लगातार कोशिश करके अपने कला में जिंदगी भर निखार लाता है, वैसे ही मनुष्य लगातार कोशिश करके अपने गुणों में बढ़ोत्तरी एवं अवगुणों में कमी ला सकता है। सतत् प्रयास से अवगुणों की संख्या लगभग शून्य हो सकती है। मनुष्य इस दुनिया में महान कहलाने योग्य हो जाता है।
गुण से सुख, अवगुण देता दूसरों को दुख
गुण मनुष्य की वह प्रकृति है, जिससे दूसरों को सुख मिलता है। अवगुण मनुष्य की वह प्रकृति है, जिससे दूसरों को दुख होता है। सुख एवं दुख मनुष्य की जिंदगी के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों साथ चलते हैं। कभी किसी की अधिकता एवं कभी किसी की कमी होती है। अगर सुख ज्यादा होता है तो आदमी सुखी और अगर दुख ज्यादा होता है तो आदमी दुखी कहलाता है।
भौतिक सुख बढ़ा रहे आत्मिक दुख
आज वैज्ञानिक युग में मनुष्य विज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर भौतिक सुखों की चमक-दमक में लीन हो गया है। जीवन के सिद्धांतों का परित्याग करता जा रहा है। इससे आत्मिक सुखों में कमी आती जा रही है। आत्मिक सुखों की कमी से आत्मिक दुखों की संख्या बढ़ती जा रही है। आत्मिक दुखी मनुष्य तनाव में चल रहा है। मानसिक तनाव अनेक भौतिक दुखों उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), मधुमेह (डायबटिज), बवासीर (एनल फिशर), पेप्टिक अल्सर (गैस्ट्रिक) तथा अनेक मनोवैज्ञानिक रोगों को जन्म देता है। अंततः मनुष्य आत्मिक व भौतिक दोनों दुखों से पीड़ित हो जाता है और जिंदगी नर्क बन जाती है।
समय रहते जीवन के विज्ञान पर दें ध्यान
मैने गहन मंथन व चिंतन के बाद बहुमूल्य सिद्धांतों का संकलन किया है। ये सिद्धांत किसी महात्मा के वाक्य हो सकते हैं या उनमें कुछ परिवर्तन हो सकता है या पूर्णरुपेण नये सिद्धांत हो सकते हैं। दुनिया में शत-प्रतिशत सत्य कुछ भी नहीं है। जैसे विज्ञान के सिद्धांत आज सत्य दिखते हैं, परंतु कुछ दिनों बाद दूसरा वैज्ञानिक उन्हीं सिद्धांतों को गलत सिद्ध कर देता है या उसमें कुछ सुधार कर देता है, वैसे ही जिंदगी भी सिद्धांतों का एक विज्ञान है, जिसमें सतत खोज की जरुरत है। आज इस विज्ञान की ओर से सबका ध्यान हट गया है। अगर समय रहते इस विज्ञान पर पुनः दुनिया के लोग ध्यान नहीं देंगे तो यह सारी दुनिया पागल हो जाएगी। (यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक इंडियान मेडिकल एसोसिएशन के मऊ के अध्यक्ष हैं।)



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