ट्रेक धसने से कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस हादसे का शिकार
05 Aug 2015
मध्यप्रदेश में हरदा के पास ट्रेक धसने से दो ट्रेनें हादसे का शिकार हो गईं। हरदा के माचक नदी के पास हुए इस हादसे में मुंबई से वाराणसी जा रही कामायनी एक्सप्रेस के 6 डिब्बे और जबलपुर से मुंबई जा रही जनता एक्सप्रेस के 4 डिब्बे डीरेल हो गए। जनता एक्सप्रेस का इंजन भी डीरेल हो गया है। इस हादसे में बचे कुछ लोगों ने अपनी आपबीती बताई।
भोपाल के ही भरत कोली अपनी पत्नी सुषमा के साथ पचौरा से शाम साढ़े छह बजे ट्रेन में सवार हुए थे। दोनों इंजन से पीछे तीसरे जनरल कोच में थे। रात करीब 11 बजे हरदा से करीब 20 किमी पहले एक तेज आवाज ने सारे यात्रियों को चाैंकाया। भरत ने बताया कि हमें ऐसा लगा, जैसे तेजी से कुछ टकराया हो या गिरा हो। हम कुछ समझ पाते इसके पहले ही ट्रेन रुक गई थी। बाहर गहरा अंधेरा था। तेज बारिश हो रही थी। पता चला कि ट्रेन पीछे एक पुल से क्रॉस हुई है, जिसके ऊपर पानी बह रहा था। हमने अंधेरे में जाकर देखा कि पीछे की तीन-चार बाेगियां पटरी से उतरकर पानी में समा गई थीं। लेकिन गहरे अंधेरे में किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। हमने ही 108 पर घटना की जानकारी दी। भरत ने भास्कर को फोन पर बताया कि दूसरे ट्रैक पर भी एक ट्रेन रुकी हुई थी। लेकिन उसके सारे डिब्बे सुरक्षित थे। भरत ने कहा कि पुल किसी नदी पर है या नाला है, यह अंधेरे में स्पष्ट नहीं हो पा रहा था।
टीटीई कर रहे थे टिकट चेक तभी कोच में घुसा पानी
भोपाल के दोसो कुमावत कामायनी के कोच एस-6 में सवार थे। उन्होंनेे बताया कि हादसे के समय ज्यादातर यात्री सोए हुए थे। टीटीई टिकट चेक कर रहे थे। अचानक जोर की अावाज हुई। आवाज कैसे आई इसको लेकर लोग चर्चा ही कर रहे थे, तभी कोच में पानी घुस आया। लोअर बर्थ पर सोए हुए यात्री जाग गए। करीब 20 मिनट बाद टीटीई ने एक-एक करके बोगी के 40 यात्रियों को कोच के रास्ते जनरल बोगी में शिफ्ट कराया।
उतरने के लिए सामान देख रहे थे तभी हुआ तेज धमाका
हरदा के नानक पाटील ने बताया कामायनी एक्सप्रेस की बोगी में जलगांव से सवार हुआ था। ट्रेन हरदा पहुंचने वाली थी। वहां उतरने वाले यात्रियों ने अपना सामान संभालना शुरू ही किया था, तभी तेज धमाके और धक्के के साथ ट्रेन रुक गई। बोगी में पानी भरने लगा। इसके बाद तो बोगी में अफरा-तफरी के हालत बन गए। इन हालात के बीच करीब 40 मिनट की मशक्कत के बाद मैं बोगी से बाहर निकल सका। अभी घटनास्थल से करीब चार किमी दूर कुकरावत गांव स्थित स्टेशन की धर्मशाला में ठहरा हुअा हूं।
धोती से खुद को बांधकर बचाई जान
हादसे में बचे मटुक ने बताया की उन्होंने खुद को धोती से बांधकर ट्रेन से बाहर निकाला। उन्होंने बताया की हर तरफ चीख पुकार मची हुई थी। लोग जान बचाने के लिए बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।
खंडवा से ट्रेन मे आ रहे शशिभूषण पंडित ने बताया खिरकिया से 11.07 मिनट पर गाड़ी निकली थी। मांदला और भिरंगी के बीच ट्रैक पर पानी था। गाड़ी ने जंप किया और एस-4 के बाद के डिब्बे पटरी से उतर गए।
ट्रेन में सवार जलगांव के जीतू राजानी ने बताया कि इंजन के नदी पार करने के बाद एस-4 के पीछे वाले डिब्बे नदी में गिरे हैं।