मऊ के लाल : पप्पू से बन गये परिचय दास
22 Aug 2021
---बुलंद आवाज विशेष----
-प्राइमरी पाठशाला देवलास के छात्र ने भारतीय स्तर पर गद्य को दी नयी दृष्टि
-नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में निखार रहे हिंदी की प्रतिभाओं को
-रामपुर कांधी से निकलकर राष्ट्रीय फलक पर साहित्य क्षेत्र में रच दिया इतिहास
बृजेश यादव
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मऊ : जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बुलंद आवाज डाट काम न्यूज पोर्टल ने सप्ताह में एक दिन बुलंद आवाज विशेष कालम के तहत मऊ के लाल शीर्षक से जिले के किसी न किसी विशिष्ट व्यक्तित्व से परिचित कराने की कोशिश शुरु की है। इसके तहत आज उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की मुहम्मदाबाद गोहना तहसील क्षेत्र के देवलास के रामपुर कांधी गांव के परिचय दास (डा. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव) से शुरुआत की जा रही है। बचपन में गांव में दुलार से पप्पू के नाम से बुलाये जाने वाले परिचय दास साहित्य क्षेत्र में राष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर रहे हैं।
निबंधकार, आलोचक के रुप में बनाई पहचान
रामपुर कांधी गांव में जन्मे परिचय दास प्राइमरी पाठशाला देवलास के छात्र रह चुके हैं। यहां से निकली यह प्रतिभा आज नव नालंद महाविहार सम विश्वविद्यालय में हिंदी की प्रतिभाओं को निखार रही है। उनकी पहचान हिंदी के महत्त्वपूर्ण निबंधकार , आलोचक, कवि, सम्पादक व संस्कृतिकर्मी के रुप में है। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अधीन नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय नालंदा में वर्तमान समय में हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष हैं। इसके पूर्व उन्होंने सफलता के कई आयाम स्थापित किये। उनमें सबसे बड़ी बात यह है कि विनम्रता व माटी के प्रति अगाध प्रेम कूट-कूट कर भरा है। वह जब भी गांव आते हैं बचपन के सहपाठी भिखारी से मुलाकात करना नहीं भूलते। उनसे भोजपुरी में बतियाकर बचपन के कुछ नटखट घटनाक्रमों पर हंसी-ठिठोली भी करते हैं। उनके सहपाठियों को फक्र इस बात का है कि साथ में और भी कई लोग पढ़े, लेकिन पप्पू जैसा जुड़ाव, प्रेम, स्नेह और कोई नहीं रखता।
इन स्कूलों से भी अर्जित की शिक्षा
परिचय दास ने कक्षा छह से आठवीं तक की शिक्षा देवर्षि जूनियर हाईस्कूल देवलास से ग्रहण की। हाईस्कूल इंटर कालेज नदवासराय तो इंटर की पढ़ाई टाउन इंटर कालेज मुहम्मदाबाद गोहना मऊ व सीएवी इंटर कालेज इलाहाबाद से की। संत गणिनाथ राजकीय पीजी कालेज मुहम्मदाबाद गोहना से हिंदी, अंग्रेजी व इतिहास से उन्होंने स्नातक किया। गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज मालटारी आजमगढ़ से एमए करने के बाद वह पीएचडी करने गोरखपुर विश्वविद्यालय चले गये। उन्होंने कन्हैया लाल मुंशी विद्यापीठ आगरा विश्वविद्यालय से डी.लिट. के लिये रिसर्च भी किया, किन्तु थीसिस नहीं जमा कर पाये।
प्रकाशित हो चुकी हैं अनेक पुस्तकें
परिचय दास ने गद्य को भारतीय स्तर पर नयी तमीज, नयी गरिमा , नयी दृष्टि दी है। साथ ही भोजपुरी कविता को एक नया पथ, नया पाठ दिया है। यह उनकी कविताओं की भाषा, उसमें निहित संवेदन, बिम्ब, किसान व वंचित की पक्षधरता तथा नवाचरण से जाना जा सकता है। उनके साहित्य में नए समय के जटिल शहरी व ग्रामीण प्रत्ययों को गति एवं विन्यास कुछ इस तरह मिला है कि वे अपने वर्तमान को ठीक से समझने -बूझने का सबब बन जाते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। वे भोजपुरी एवं मैथिली की पत्रिका परिछन के संस्थापक-सम्पादक तथा हिंदी की पत्रिका इंद्रप्रस्थ भारती के सम्पादक रहे हैं। समकालीन साहित्य के साथ, मध्यकाल के साहित्य, विशेष रूप से कवि धरनी दास पर उनकी आलोचना का विशेष महत्त्व है।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी के सचिव पद को किया सुशोभित
परिचय दास मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिल्ली एवं हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव रहे हैं। साहित्य एवं भाषा के सैकड़ों कार्यक्रमों का आयोजन व संयोजन कर चुके हैं। केंद्रीय साहित्य अकादमी की ओर से 2012 में काठमांडू में भोजपुरी पर व्याख्यान दे चुके हैं। सार्क साहित्य सम्मेलन, दिल्ली में कविता पाठ, गेटवे लिटरेरी फेस्टिवल, मुंबई में भोजपुरी पर व्याख्यान तथा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के आयोजित कविता -उत्सव आदि में कविता-पाठ कर चुके हैं।
द्विवागीश सम्मान से हो चुके हैं सम्मानित
अनेक सम्मानों से वे सम्मानित हैं, जिनमें द्विवागीश, भोजपुरी कीर्ति, माटी के लाल आदि सम्मान शामिल हैं। कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। लोकगायन तथा नाटकों एवं फिल्मों में भी गहरी रुचि रखते हैं। फिल्मों की गंभीर समीक्षाओं से उन्होंने फिल्म-समीक्षा को नई दिशा दी है। भारतीय साहित्य की समीक्षा व समझ पर उनकी विशेषज्ञता है। हिंदी के महत्त्वपूर्ण समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
गांव में ही बसता है मन
परिचय दास बताते हैं कि दिल्ली के द्वारिका में वह लंबे समय तक रहे। देश के अन्य हिस्सों में भी गये, लेकिन उनका मन आज भी अपनी माटी अपने गांव रामपुर कांधी में ही बसपा है। उन्हें बचपन में बाबा के साथ देवलास मेला देखने के दौरान खाई गई चोटहिया जलेबी का स्वाद याद है तो गांव की आबोहवा जेहन में सदैव बनी रहती है। पप्पू से परिचय दास की उपाधि मिलने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में मित्रमंडली ने दे दी।