मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं बैंक

12 Nov 2016

-काम-धाम छोड़ सुबह से लाइन में लग जा रही आम जनता
-कतार में लगने के बाद भी नहीं नोट बदलने की गारंटी नहीं
-महानगरों में हो रही मार, ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों पर बुरा हाल

बृजेश यादव
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भ्रष्टाचार, जाली नोट का कारोबार बंद करने और देश में दबे कालेधन को बाहर निकालने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया कदम साहसी है। 500-1000 के नोट बंद करने के ऐलान के बाद देश में नोट बदलने को आने वाली आपातकालीन स्थिति को भांपने में उन्होंने थोड़ी चूक कर दी। यह भी कह सकते हैं कि पीएम को राय देने वालों ने बैंकों की हकीकत से उन्हें अवगत कराने की जहमत नहीं उठा सके। इसका दुष्परिणाम आम जनमानस को झेलना पड़ रहा है। मजदूरी व खेती-किसानी कर परिवार का पेट पालने वाले तीन दिन से काम-धाम छोड़ बैंकों पर लाइन लगा रहे हैं।
उनकी नई आमदनी तो हो नहीं रही, उल्टे लाइन लगाने पर भी रुपये बदल ही जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं। महानगरों में बैंकों पर नोट बदलने को मारामारी है तो ग्रामीण क्षेत्र की शाखाओं में रुपये ही नहीं हैं। चंद घंटे नोट बदलने के बाद धन समाप्त होने की तख्ती शाखा के बाहर लगा दी जा रही है। प्रधानमंत्री को नए नोट बदलने की व्यवस्था लागू करने से पहले देश भर के बैंकों की वास्तविक स्थिति पता करानी चाहिए थी। नई व्यवस्था को कौन कहे, पुराने ढर्रे पर भी गांव-देहात के बैंक निर्धारित समय में भी पूरी देनदारी नहीं कर पाते थे। तीन दिन बंद रखने के बाद सभी एटीएम को चालू करने और उनमें से दो हजार तक धन निकासी का प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन में किया गया दावा भी पूरी तरह से अमल में नहीं आ सका। साफ्टवेयर की दिक्कत से दो हजार की नोट निकालने में भी दिक्कत आ रही है।
ऐसा होता तो नहीं झेलती जनता
1000 व 500 के पुराने नोटों को एक्सजेंच करने को लेकर देश में पैदा हुए आपातकाल जैसे हालात पर बुलंद आवाज ने कई अर्थशास्त्रियों से चर्चा की। इसका नतीजा इस रुप में सामने आया कि प्रधानमंत्री को करना यह चाहिए था कि देश भर के बैंकों में मौजूद पुराने नोटों के बराबर नए नोट की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। साथ ही पुराने नोटों का प्रचलन तीन-चार महीने तक पूर्व की तरह चलाते रहने की व्यवस्था होनी चाहिए थी। बैंक में सामान्य दिनों की तरह पुराने नोटों के जमा करने और ग्राहकों को निकासी करने पर नए नोट देने चाहिए थे। इसके बाद जिस बैंक की शाखा में जितने पुराने नोट जमा होते, उसके बदले तत्काल नए नोट वहां पहुंचाएं। जब सभी बैंकों में धन होता तो कतार लगाने वाले का नोट बदलने की जवाबदेही तय होनी चाहिए। इसके अलावा बैंक के कर्मचारियों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित कर जगह-जगह शिविर लगाकर नोट बदले जाने चाहिए।



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