स्पेशल इफेक्टस और फैंटेसी एक्शन से भरपूर : बाहुबली
22 Jul 2015
फिल्म : बाहुबली- द बिगिनिग निर्देशक : एसएस राजमौली कलाकार : प्रभास, राणा डुग्गुबत्ती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, सुदीप निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म बाहुबली- द बिगिनिंग अतीत में ले जाती है। इस फिल्म को हिन्दुस्तानी सिनेमा की सबसे महंगी फिल्म माना जा रहा है। तकनीक ने इस फिल्म में दृश्यों को एक नया आयाम दिया है।
इसमें कोई शक नहीं है कि यह फिल्म बहुत ही भव्य है, इसके स्पेशल इफेक्ट्स कमाल के है। इस फैंटेसी एक्शन फिल्म में कथानक और स्क्रिप्ट में खामियों के बावजूद जबरदस्त स्पेशल इफेक्टस और खासतौर पर युद्ध के दृश्यों का फिल्मांकन करिश्माई है। कुछ सालों पहले ग्लैडिएटर और 300 जैसी फिल्मों की भव्यता देखकर-देखकर हमें अचरज होता था, मगर तीन साल तक बाहुबली के निर्माण में जुटे रहे एसएस राजमौली ने तकनीकी स्तर पर भारतीय सिनेमा को एक नई ऊंचाई दी है।
कहानी : यह फिल्म एक बहादुर बेटे की कहानी है। वह अपनी मां के साथ हुए अन्याय के समाधान के लिए साहस और बल का इस्तेमाल करता है। एक राज्य में छल से बाहुबली को उसके अधिकार से बचपन में ही वंचित कर दिया जाता है। बाहुबली को जंगल के नागरिक पालते हैं। बडे होने के साथ बाहुबली की जल पर्वत पर चढने की इच्छा मजबूत होती जाती है। उसकी पालक मां उसे रोकने में असफल रही है। जल पर्वत पर उसकी मुलाक़ात अवंतिका से होती है। दोनों के बीच प्रेम होता है, लेकिन फिल्म का लक्ष्य उनका पतन नहीं है। दोनों का लक्ष्य रानी देवसेना की मुक्ति और अधिकार हासिल करना है। छोटे प्रेम प्रसंग और एक-दो रोमांटिक गानों के बाद बाहुबली मुख्य लक्ष्य में जुट जाता है।
यह बाहुबली के पराक्रम की गौरव गाथा है, जिसे राजामौली ने सीजी इफेक्ट से प्रभावशाली बना दिया है। यह फिल्म इस प्रभाव के चमत्कार के लिए भी देखी जा सकती है। फिल्म में दृश्यों की रोचकता बनी रहती है। हालांकि फिल्म में घिसी-पिटी धारणाओं का भरपूर इस्तेमाल हुआ है, लेकिन लेखक और निर्देशक उनमें अधिक भटकते नहीं हैं। वे अपने काल्पनिक संसार में रमते हैं। वे विशाल और वृहद् दृश्य संयोजन से सम्मोहन बनाए रखते हैं।
निर्देशन : एसएस राजमौली के हौसले इस कदर बुलंद है कि उसने इतने ब़डे बजट की फिल्म के लिए काल्पनिक कहानी को चुना और वह भी राजा-महाराजाओं वाली। फंतासी और कॉमिक्स की दुनिया जैसा अकल्पनीय संसार। उन्होंने हर मोर्चे पर हॉलीवुड का मुकाबला करने की कोशिश की और सफलता भी हासिल की।
एक्टिंग : प्रभाष और राना डगुबत्ती बहुत अच्छे लगे हैं। सत्यराज को कटप्पा ग़ुलाम का मजबूत रोल मिला है और वो बहुत जमे हैं। फिल्म में अभिनेत्री अनुष्का शेट्टी का रोल "करण अर्जुन" की राखी की याद दिलाता है। वो हर सीन में कहती हैं "मेरा बेटा आएगा"। उनका रोल ज्यादा नहीं है और तमन्ना भाटिया अच्छी लगी हैं।