बेचारा बने दारा को बीजेपी फिर देगी मौका!

11 Sep 2023

-अमित शाह की नजर में राजनीतिक पहलवान दारा हुए चारों खाने चित्त
-मंत्री बनने की आस में विधायकी से दिया इस्तीफा,घर के हुए न घाट के
-बीजेपी पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके दारा क्या बन पाएंगे मंत्री
-घोसी से उप चुनाव हारने के बाद चौहान के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा

सुभाष यादव

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मऊ : मंत्री बनने की हसरत ने दारा सिंह चौहान को विधायक भी नहीं रहने दिया। दारा सिंह चौहान ने महज 15 महीना पूर्व सपा से जीती गई विधायकी से त्यागपत्र दे दिया और भाजपा प्रत्याशी के रूप में फिर से घोसी विधानसभा के चुनाव मैदान में आ गए। भाजपा के रणनीतिकारों को भी यह कत्तई भान नहीं रहा होगा कि घोसी की जनता उनके द्वारा थोपे गए प्रत्याशी को ऐसा करारा जवाब देकर चारों खाने चित्त कर बेचारा बना देगी। अब पूरे क्षेत्रवासियों की दिलचस्पी इस बात को लेकर है कि क्या हारे हुए दारा सिंह चौहान को भाजपा प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्री बनाएगी जैसा कि उन्हें आश्वासन देकर सपा से त्यागपत्र देकर भाजपा में बुलाया गया था।इसके साथ ही लोगों को सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी काफी उत्सुकता है।

मंत्रिमंडल सहित भाजपा की पूरी टीम की मेहनत भी नहीं आई काम

दारा सिंह चौहान के सपा से त्यागपत्र देकर भाजपा ज्वाइन करने के बाद घोसी विधानसभा का उपचुनाव कराने की घोषणा हुई। पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की नजर में राजनीतिक पहलवान बने दारा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया। भाजपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके दारा सिंह चौहान को जिताने के लिए प्रदेश के हर बिरादरी के मंत्री को चुनाव प्रचार में उतार दिया गया। मंत्री अपने-अपने बिरादरी की बहुलता वाले क्षेत्रों में दिन रात एक‌कर चुनाव प्रचार किये। सौ से अधिक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों ने दारा सिंह चौहान को जिताने के लिए दिन रात एक कर दिया। स्वयं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने भी विधानसभा क्षेत्र में कई दिनों तक चुनावी दौरे करके दारा सिंह के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने का प्रयास किया। संगठन के पदाधिकारियों ने भी गांव-गांव गली गली चौपाल लगाकर दारा सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी लगातार एक हफ्ते से अधिक समय तक घोसी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार में लगे रहे। तीन सितंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोसी चीनी मिल में चुनावी जनसभा कर दारा सिंह चौहान को जिताकर विधानसभा भेजना की अपील की। भाजपा की इस मैराथन कसरत के बाद भी मतगणना के दिन चुनाव परिणाम काफी निराशाजनक रहा और दारा सिंह चौहान बुरी तरह चुनाव हार गए। उनकी स्थिति यह हो गई है कि वह घर के न घाट के रह गए हैं।
क्या जनादेश का अपमान कर भाजपा दारा को बनायेगी  मंत्री
राजनीतिक विश्लेषकों में मंथन चल रहा है कि घोसी की जनता द्वारा नकारे गए दारा को क्या बीजेपी मंत्रिमंडल में स्थान देगी। कुछ जानकारों का मानना है कि भाजपा दारा को मंत्रिमंडल में स्थान देकर घोसी की जनता के जनादेश का अपमान करने से परहेज करेगी, क्योंकि जो दारा भाजपा के इतने परिश्रम के बाद भी स्वयं अपनी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सके वे भला लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए क्या मदद कर पाएंगे? हालांकि कुछ जानकारों का यह मत है कि भले ही दारा चुनाव हार गए हों लेकिन पार्टी अपने वादे के अनुसार उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान देगी। यह पार्टी की भविष्य की रणनीति का हिस्सा होगा। हालांकि सुभासपा  प्रमुख ओमप्रकाश राजभर पूरे दावे के साथ कहते फिर रहे हैं कि दारा के साथ मैं भी मंत्री बनूंगा। ओम प्रकाश राजभर यह भी कहने लगे हैं कि घोसी में भाजपा ने अगर दारा की बजाय किसी स्थानीय नेता को टिकट दिया होता तो चुनाव परिणाम उसके पक्ष में होते।

चुनाव हारे केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाने की है नजीर
साल 2022 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए थे लेकिन योगी 2 सरकार के गठन में स्वामी प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बना दिया गया। इधर वर्तमान समय में घोसी विधानसभा उपचुनाव में बुरी तरह पराजित हो चुके दारा सिंह चौहान के परिपेक्ष्य में जानकारों का मानना है कि फिलहाल भाजपा की ओर से दारा को मंत्री बनाए जाने की जल्दबाजी किए जाने के आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि मंत्री बनने के बाद उन्हें 6 महीने की अवधि के अंदर विधानसभा अथवा विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी होगा। निकट भविष्य में विधान परिषद की कोई सीट रिक्त होने वाली नजर नहीं आ रही है। ऐसे में दारा सिंह चौहान के मंत्री बनने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। वैसे यह भाजपा के रणनीतिकारों पर निर्भर करता है कि वे दारा सिंह चौहान का उपयोग किस रूप में करेंगे।

दारा का बार-बार पार्टी बदलने रास नहीं आया मतदाताओं को

राजनीतिक समझ रखने वाले लोग दारा सिंह चौहान को राजनीतिक मौसम विज्ञानी की संज्ञा देते हैं। लोगों का कहना है कि दारा सिंह चौहान राजनीतिक हवा का रुख भांपकर दल बदल करने में माहिर रहे हैं। छात्र राजनीति के बाद राजनीति में आने वाले दारा समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस और भाजपा तक की यात्राएं कर चुके हैं। 2017 में भाजपा से मधुबन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने  मंत्रिमंडल में वन मंत्री बनाया था लेकिन साल 2022 में दारा को अनुमान लगा कि अब भाजपा सरकार में आने वाली नहीं है, इसलिए उन्होंने चुनाव निकट आता देख मंत्री पद से त्यागपत्र देकर सपा का दामन थाम लिया। घोसी से टिकट पाने पर विधायक बन गए थे लेकिन सपा की सरकार न बनने पर वे सपा में घुटन महसूस करने लगे और येन केन प्रकारेण भाजपा में घुसपैठ करने की जुगत में लग गए। अपने बसपा के कुछ पुराने साथियों की मदद से उन्हें भाजपा में न सिर्फ प्रवेश मिला बल्कि टिकट और मंत्री पद देने का आश्वासन भी मिला। इसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर फिर से चुनाव मैदान में आकर विधायकी भी गंवा दी। बार-बार पार्टी बदलने से घोसी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अपनी नाराजगी मतदान के दिन दारा के विरोध में वोट देकर जता दी। 

संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर भी नहीं हो सके कामयाब मददगार 

घोसी विधानसभा उप निर्वाचन में भाजपा की ओर से एनडीए के घटक निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद और सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर को दारा सिंह चौहान की जीत पक्की करने के लिए चुनाव मैदान में उतार दिया गया था। ये दोनों नेता अपने समर्थकों के साथ चुनाव में पूरे दमखम के साथ लगे रहे लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद यह साबित हो गया कि इन दोनों नेताओं से क्षेत्र के मतदाता प्रभावित नहीं हो सके और मतदाताओं ने विपक्षी उम्मीदवार को बहुमत के साथ मतदान किया।



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