इसलिए जनता ने दारा को नकारा

08 Sep 2023

- खुद को चालाक समझ हर चुनाव में दल बदलना जनता को नहीं गंवारा
- नाराज वोटरों को नहीं सहेज पाये सीएम, मंत्री व संगठन के पदाधिकारी
- पहले राउण्ड से अंत तक समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की बनी रही लीड
- मिशन 2024 के लिये घोसी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं ने दे दिया संदेश

सुभाष यादव

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मऊ : घोसी विधानसभा उप निर्वाचन की मतगणना के पहले राउण्ड से ही भाजपा के दारा सिंह चौहान पर सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह बढ़त बनाये रखने में सफल रहे। इस चुनाव में दल बदलकर आये दारा सिंह चौहान को क्षेत्र की जनता ने नकार दिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान से काफी अधिक मत विपक्षी प्रत्याशी इण्डिया गठबंधन के घटक सपा के सुधाकर सिंह को मिले। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से लेकर प्रदेश मंत्रिमण्डल के सभी जातियों के दर्जन भर से अधिक मंत्रियों, सौ से अधिक विधायकों और विधान परिषद सदस्यों तथा संगठन के पदाधिकारियों की दो हफ्तों से अधिक की मेहनत काम नहीं आ सकी।

भाजपा कार्यकर्ताओं में था आक्रोश

सत्तारुढ़ पार्टी की भारी भरकम फौज दलबदलू दारा सिंह चौहान को मैदान में उतारे जाने से नाराज भाजपा के  मतदाताओं की नाराजगी दूर करने में कामयाब नहीं हो सकी। जिसका नतीजा रहा कि भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। यूं तो चुनाव की घोषणा के बाद जब भाजपा नेतृत्व ने घोसी विधानसभा में पार्टी प्रत्याशी के लिये दारा सिंह चौहान के नाम की घोषणा की तभी से पार्टी के अन्दर उनका मुखर विरोध होना शुरू हो गया। चूंकि भाजपा एक अनुशासित पार्टी मानी जाती है और उसके कार्यकर्ता व नेता भी अनुशासित तरीके से काम करते हैं, इसके चलते बाहरी तौर पर दारा सिंह का विरोध तो सामने नहीं आया लेकिन अन्दर ही अन्दर उनके प्रति भाजपा के समर्पित नेताओं में आक्रोश फैल गया। यही आक्रोश मतदान के दिन मतदाताओं के निर्णय को दारा सिंह के विरोध में बदल दिया। जिसका नतीजा 8 सितम्बर को मतगणना के बाद चुनाव परिणाम के रूप में सामने आ गया।

ओमप्रकाश ने भी बना दिया खिलाफ माहौल
चुनाव प्रचार के दौरान सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर के बड़बोलेपन ने भी भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के विरूद्ध माहौल बना दिया। जिस ओमप्रकाश राजभर को भाजपा इस उम्मीद के साथ एनडीए का हिस्सा बनायी थी कि उनकी बिरादरी के मतदाता उनके प्रभाव में आकर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करेंगे लेकिन मतदान परिणाम ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया। उधर भाजपा ने अपने  प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिये प्रदेश मंत्रिमंडल के सभी जातियों के मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार दिया था। इन मंत्रियों ने प्रत्येक गांव में चौपाल लगाकर स्वजातीय मतदाताओं को सहेजने का भरपूर प्रयास किया। संगठन के हर बिरादरी के पदाधिकारियों ने भी दारा के पक्ष में माहौल बनाने के लिये एड़ी से चोटी का जोर लगाया था।

सपा ने भी झोंक रखी थी पूरी ताकत

जनपद के निवासी कैबिनेट मंत्री एके शर्मा दिन रात पूरे विधानसभा क्षेत्र को मथ डाले थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से लेकर दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और कैशव प्रसाद मौर्य कई-कई दिनों तक चुनावी सभाएं किये थे। लेकिन नाराज मतदाताओं ने उनकी बातों को गंभीरता से न लेकर मतदान में अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। उधर सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव डा.रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, सभी विधायक, पूर्व मंत्री बलराम यादव, अंबिका चौधरी, रामगोविंद चौधरी, नारद राय और पूर्व विधायकों तथा सत्येन्द्र राय ने चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी थी। 

15 महीने में ही हार गए खुद की जीती सीट
विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की सबसे ज्यादा नाराजगी यह थी कि दारा सिंह चौहान हर चुनाव में दल बदल करते हैं। पिछले 2022 के आम चुनाव में इसी दारा सिंह ने मुख्यमंत्री मंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा पर पिछड़ों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाकर भाजपा से नाता तोड़कर सपा से चुनाव लड़ा था और 15 महीने बाद ही सपा छोड़ भाजपा में शामिल होकर चुनाव मैदान में आ गये। तभी से दारा सिंह के खिलाफ हुआ माहौल मतदान के दिन तक बना रह गया। जिसका परिणाम मतगणना के बाद भाजपा प्रत्याशी की शर्मनाक हार के रूप में सामने आ गया।
राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक दारा की मंशा हुई फेल

भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को क्षेत्र की जनता राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक की संज्ञा देती है। मतदाताओं का कहना है कि सन् 2022 में दारा सिंह चौहान इस अनुमान में भाजपा ने नाता तोड़ सपा में आ गये थे कि अबकी प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी और वे उसमें मंत्री पद पा जायेंगे। लेकिन प्रदेश में हुये विधानसभा के चुनाव में सपा को बहुमत नहीं मिल सका और भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो गयी। तब पहली बार दारा सिंह चौहान की मंत्री बनने की हसरत धूल धूसरित हो गयी। सपा के विपक्ष में आने के बाद से ही दारा सिंह चौहान पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने की जुगत भिड़ाने में लग गये। उनकी इस मुहिम में पूर्व में बसपा में रहे उनके पुराने साथी और वर्तमान में प्रदेश सरकार में अहम ओहदे पर आसीन राजनेताओं की मदद मिली और अंततः 15 महीने बीतते-बीतते भाजपा से हरी झण्डी मिलने पर दारा सिंह चौहान ने सपा को अलविदा कह दिया और भाजपा का दामन थाम लिया।

मंत्री बनने की हसरत रह गई अधूरी

सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से उन्हें पुनः घोसी विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने और प्रदेश मंत्री मंडल में मंत्री बनाये जाने का आश्वासन दिया गया। दारा सिंह चौहान के साथ ही सुभासपा के ओपी राजभर को भी एनडीए का हिस्सा बनाते हुये उप निर्वाचन में भाजपा प्रत्याशी की जीत दिलाने में उनसे भरपूर मदद की अपेक्षा की गयी, लेकिन दारा सिंह चौहान के दल बदल नीति के चलते भाजपा नेतृत्व का निर्णय उल्टा साबित हो गया। इसके साथ ही दारा सिंह चौहान द्वारा राजनीतिक मौसम का पूर्वानुमान दूसरी बार ध्वस्त हो गया और इसी के साथ ही दारा सिंह चौहान का मंत्री बनने का मंसूबा भी धूमिल होता नजर आ रहा है।



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