बीजेपी सरकार नहीं डरा सकी सुरही के इस लाल को

07 Sep 2023

---जन्मदिन पर विशेष---
-बलिया के लाल राजीव राय की राष्ट्रीय फलक पर है पहचान
-जनेश्वर मिश्र व चंद्रशेखर की गोद में खेलने का मिला सौभाग्य
-मुसीबत के मारों के मसीहा हैं सपा के राष्ट्रीय सचिव व प्रवक्ता
-टीवी चैनलों पर डिबेट में विपक्षियों को देते हैं मुंहतोड़ जवाब
-आईटी के जरिए अरदब में लेने की बीजेपी की कोशिश नाकाम

बृजेश यादव

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मऊ :  पूर्वी उत्तर प्रदेश के आखिरी छोर बिहार बार्डर पर बसे गांव सुरही के लाल राजीव राय की पहचान राष्ट्रीय फलक पर है। अपने जीवनकाल में बलिया से उठकर दक्षिण भारत में बैंगलोर तक पड़ाव बनाने वाले राजीव राय पर छोटे लोहिया स्व. जनेश्वर मिश्र व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर सिंह की अमिट छाप है। समाजवाद के दोनों पुरोधाओं की गोद में बैठकर खेलने का उन्हें सौभाग्य भी प्राप्त है। उनके रोएं-रोएं में समाजवाद कूट-कूटकर भरा है। वह मुसीबत के मारों के मसीहा कहे जाने लगे हैं। टीवी चैनलों पर डिबेट में समाजवादी पार्टी का अकाट्य पक्ष रखते हैं। सत्तारुढ़ दल भाजपा व विपक्षी दलों के प्रवक्ताओं को तार्किक ढंग से मुंहतोड़ जवाब देते हैं। डिबेट में राजीव राय के तर्कों से विचलित होने वाली भाजपा सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उनके घर व प्रतिष्ठानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी कराकर अरदब में लेने की कोशिश की लेकिन नाकाम साबित हुई। राजीव राय को सरकार नहीं डरा सकी।

53वें वर्ष में किए प्रवेश

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव/प्रवक्ता व घोसी लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी राजीव राय ने गुरुवार को उम्र का 52 वर्ष पूरा कर लिया। वह 53वें वर्ष में प्रवेश कर गये। उनका जन्म छह सितंबर 1971 को सुरही गांव में हुआ। वह स्व. राजनारायण राय के दो पुत्रों राजीव राय व रजनीश राय में बड़े हैं। घोसी विधानसभा के उपचुनाव के बाद 8 सितंबर को होने वाली मतगणना के मद्देनजर वह इस बार मऊ में ही मौजूद हैं। उनके जन्मदिन पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम के खिलाड़ियों ने कार्यक्रम रख आमंत्रित किया तो वह इन्कार नहीं कर सके। स्टेडियम में पहुंचकर उन्होंने केक काटा और युवा खिलाड़ियों को देश का भविष्य बताते हुए उनकी हौसला अफजाई की। साधन संसाधन की कमी न होने देने के लिए हर संभव मदद का वचन दिया।

शिक्षा के लिए अमेरिका तक का सफर

गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की शुरुआत करने वाले राजीव राय ने शिक्षा के लिये यूएसए (यूनाइटेड स्टेट आफ अमेरिका) तक का सफर तय किया। उन्होंने कक्षा एक से पांच तक की शिक्षा अपने गांव सुरही के प्राथमिक स्कूल से ग्रहण की। कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने राजकीय इंटर कालेज बलिया से की। इसके बाद वह वाराणसी के यूपी कालेज गये। वहां से स्नातक किया। स्नातकोत्तर करने वह बैंगलोर यूनिवर्सिटी गये। यूएसए से पीएचडी किया। पीएचडी पूरी करने के बाद उन्होंने बैंगलोर को ही कार्यक्षेत्र बना लिया। वहीं से राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनी। वहां वह दर्जनों शैक्षणिक संस्थाओं का सफलतापूर्वक संचालन करते हैं।

छोटे लोहिया व चंद्रशेखर देते थे बेटे जैसा सम्मान
राजनीति व समाजवाद राजीव राय के ब्लड में समाहित है। छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र व पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह जब तक जिंदा रहे, तब तक उनका आशीर्वाद परस्पर राजीव राय को मिलता रहा। इसकी वजह यह है कि राजीव राय के पिताजी स्व. राजनारायण राय व जनेश्वर मिश्रा दोनों लोग एक ही समाजवादी पुरोधा के शिष्य थे। समाजवादी व क्रांतिकारी नेता लोकबंधु स्व. राजनारायण उन दोनों लोगों के राजनैतिक गुरु थे। इससे दोनों लोगों में काफी घनिष्ठता थी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह राजीव राय के पिताजी के परम मित्रों में एक थे। इसलिये दोनों समाजवादी नेताओं के यहां राजीव राय का बेरोक-टोक आना जाना रहा। दोनों लोग उन्हें अपने बेटे जैसा ही सम्मान देते थे। उन्होंने राजीव राय के अन्दर छिपे समाजवादी नेतृत्व को पहचान भी लिया था।

दक्षिण भारत में भी पार्टी को दिया विस्तार
वर्तमान समय की राजनीति में पद व सत्ता के लिये तमाम बड़े नेताओं के विचारधारा व दल बदलने के देश में अनेक उदाहरण हैं। ऐसा परिवर्तनशील समय भी राजीव राय के समाजवादी तेवर को डिगा नहीं सका। वह बचपन से ही समाजवादी विचारधारा व समाजवादी पार्टी को अपनाये जो आज तक बरकरार है। राजीव राय केवल बलिया व मऊ में ही समाजवादी पार्टी को मजबूत करने में नहीं जुटे हैं, उन्होंने पार्टी का संगठन दक्षिण भारत के उन जिलों तक खड़ा कर दिया, जहां पहुंच नहीं थी। श्री राय के करीबी बताते हैं कि कर्नाटक में उन्होंने समाजवादी पार्टी का विधायक निर्वाचित कराने में अहम रोल अदा किया। सभी जिलों व विधानसभा क्षेत्रों में सपा के जिलाध्यक्ष से लेकर बूथ स्तर तक का सक्रिय संगठन है।

मदद करने में कभी नहीं पूछा जाति-धर्म
सपा सचिव राजीव राय मुसीबत में फंसे लोगों को उबारने के लिये सदैव तत्पर रहते हैं। मलेशिया में फंसे मऊ जिले के दर्जन भर से अधिक युवाओं की हमवतन वापसी कराने में उन्होंने अर्थ से लेकर हर स्तर तक की मदद की। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलकर मऊ के पार्टी कार्यकर्ता की बेवा को एक लाख रुपये की आर्थिक मदद कराई। मधुबन के लाल हिमांशु यादव का वाराणसी के पापुलर हास्पिटल में इलाज का पूरा जिम्मा अपने कंधों पर लिया। दर्जनों परिवारों के बच्चों की पढ़ाई लिखाई का पूरा जिम्मा इन्होंने अपने कंधों पर ले रखा है। उनके मददगार बनने की लंबी फेहरिस्त है। सबसे बड़ी बात यह कि राजीव राय जिसके भी मददगार बने, उनका जाति-धर्म नहीं पूछा। वह मानवसेवा और परोपकार को ही अपना धर्म समझते हैं।

माटी से है बेहद लगाव
बहुतेरे ऊंचा मुकाम पाने के बाद अपनी जन्मभूमि को ही भूल जाते हैं, लेकिन राजीव राय में ऐसा नहीं है। पूरब का प्रेम उनको निरंतर खींच लाता है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के मित्रों में एक राजीव राय को पूरब की माटी के प्रति लगाव ही मऊ और बलिया ले आता है। वर्ष 2014 में वह समाजवादी पार्टी से घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। सफलता तो नहीं मिली, लेकिन उसके बाद लोगों को राजीव राय के पद, कद व इमोशनल व्यक्तित्व का पता चला। चुनाव के बाद अपनी माटी से जुड़ाव इस कदर हुआ कि कोई ही ऐसा महीना बीता होगा, जिसमें उनकी मौजूदगी मऊ और बलिया में नहीं रही होगी। वह दोनों जिलों के लोगों के दुःख-सुख में जरुर सरीक होते हैं। घोसी विधानसभा के उपचुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी। यही नहीं प्रशासनिक स्तर पर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में किये जा रहे हर खेल को लगातार उजागर करते हुए चुनाव आयोग तथा पार्टी मुखिया तक पहुंचाने का काम किया।

 



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