दारा चौहान ने 20 महीने पहले जो कहा था वह सही था कि अब

18 Jul 2023

- निष्ठा बदलने के पीछे ओबीसी-दलित समाज के हक की चिंता या निजी स्वार्थ
- दल की तरह बयान बदलने की चट्टी-चौराहों पर चटखारे के साथ हो रही चर्चा

सुभाष यादव

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मऊ : सपा विधायक से त्यागपत्र देकर दो दिन पहले भाजपाई बने दारा सिंह चौहान ने महज 20 महीने पहले भाजपा पर ओबीसी और दलित वर्ग का विरोधी होने का आरोप लगाकर सपा का दामन थामा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार  में पिछड़ों, दलितों का हक मारा जा रहा है। नौकरियों में उनके आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। इसलिए भाजपा सरकार से त्यागपत्र देकर सपा की सदस्यता ग्रहण कर रहा हूं। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव के बाद दुबारा भाजपा के सत्ता में आ जाने के बाद दारा सिंह चौहान का दांव उल्टा पड़ गया। इसके बाद से ही उन्हें सपा में घुटन सी महसूस होने लगी थी। 

चुनाव बाद ही भिड़ाने लगे तिकड़म 

सपा के किसी कार्यक्रम में दार पूरे मन से भाग नहीं लेते थे। वे येन केन प्रकारेण भाजपा में घुसपैठ की तिकड़म भिड़ाने लगे। अब भाजपा में शामिल होते समय उसी दारा सिंह का सुर बदल गया। महज 20 महीने बाद ही उनकी निष्ठा बदल गई और उसी भाजपा को अब ओबीसी और दलितों का हितैषी बताने लगे। इस समय चट्टी चौराहों पर चल रही चर्चाओं के दौरान लोगों को चटखारे लेकर यह कहते सुना जा रहा है कि दारा सिंह का कौन सा बयान सही है और कौन गलत। उन्होंने 20 महीने पहले सपा ज्वाइन करते समय भाजपा को पिछड़ा वर्ग विरोधी बताया था ,क्या वह सही था अथवा वर्तमान में उनका दिया गया वक्तव्य।

भाजपा कार्यकर्ता भी असंतुष्ट 

पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भले ही दारा सिंह चौहान को भाजपा में शामिल कर लिया है और जैसी की चर्चा है कि हाल ही में प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में स्थान मिलने वाला है लेकिन जनपद में भाजपा का ही एक वर्ग पार्टी के निर्णय से संतुष्ट नहीं बताया जा रहा है। स्थानीय नेता हृदय से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि निजी स्वार्थ देखकर दलबदल करने वालों को प्रश्रय देना पार्टी हित में कदापि नहीं है। लेकिन पार्टी के अनुशासन के नाम पर समर्पित नेता खुले तौर पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन इतना सच है कि दारा की भाजपा में वापसी को लेकर पार्टी के समर्पित नेताओं में कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है।

जनता को अब क्या देंगे तर्क

उधर सपा नेता दारा सिंह को विश्वासघाती करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि दलबदल कराने वाले दारा सिंह को समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने घोसी विधानसभा सीट से टिकट देकर विधानसभा भेजा लेकिन उन्हें तो मंत्री पद पाने की उतावली थी। इसलिए उन्होंने समाजवादी पार्टी और घोसी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया। घोसी क्षेत्र के मतदाताओं का कहना है कि महज 20 महीने में निष्ठा बदलने वाले दारा सिंह चौहान अब उनके सामने कौन सा तर्क देंगे।



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