इस्लामी साल का पहला व बरकत का महीना है मोहर्रम : मौलाना अजहरुल इस्लाम अजहरी

09 Aug 2022

-अल्लाह के नजदीकी का है माह

बुलंद आवाज रिपोर्टर

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चिरैयाकोट (मऊ) : मोहर्रम का महीना इस्लामी साल का पहला महीना है। यह महीना बहुत बरकत वाला महीना है। यह महीना अल्लाह के नजदीक बुजुर्गी वाला महीना है। इस महीने की बुजुर्गी हर दौर में मानी जाती रही है। खासतौर से इसकी 10 तारीख की इस्लाम में बड़ी अहमियत है। क्योंकि इस तारीख को आशूरा कहते हैं। यही वह तारीख है, जिस तारीख में कर्बला की सरजमीन पर रसूले पाक सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के प्यारे नवासे इमामे हुसैन अपने 72 साथियों के साथ दीन ए इस्लाम की सरबुलंदी और हक़ को आगे बढ़ाने में शहीद कर दिए गए।
 उक्त बातें नगर के युवा मौलाना अज़हरुल इस्लाम अज़हरी ने यह बाताते हुए कहा कि दीन इस्लाम को बचाने के लिए अपने घर वालों और अपने साथियों को लेकर जामे शहादत से सरफराज हुए। कर्बला की जंग हक और बातिल की जंग थी। इमामे हुसैन हक पर थे और यजीद बातिल पर था। कर्बला के वाक्ये से हमें मुसीबतों पर सब्र, शुक्र और सच्चाई के रास्ते पर चलने का सबक़ मिलता है। इससे यह भी पता चलता है कि हमेशा सच्चाई की जीत होती है।

उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सब जानते हैं कि जिसने इमामे हुसैन का कत्ल किया, उस कातिल का नाम दुनिया से मिट गया। इमामे हुसैन अगरचे शहीद कर दिए गए लेकिन आज भी उनका नाम जिंदा है। उनकी हिम्मत और बहादुरी जिंदा है। क्योंकि जो व्यक्ति सच्चाई के रास्ते पर चलता है वह अमर हो जाता है। इमामे हुसैन ने कर्बला में भी नमाज अदा की तो हमें भी पाबंदी के साथ नमाज पढ़नी चाहिए और अपने रब की सही तरीके से इबादत करनी चाहिए। यही इमाम हुसैन की जीवनी हमें बताती है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस महीने में सदका करना चाहिए। परेशान लोगों की मदद करना और कुराने पाक की तिलावत करते हैं। आशूरा के दिन अपने और रिश्तेदारों सहित देशभर के लिए खूब दुआएं करना चाहिए हैं। क्योंकि इस दिन दुआ कबूल होती है।



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