मऊ के एएसपी ने दबोचा था आतंकी वलीउल्लाह को 

06 Jun 2022

 ---बुलंद आवाज विशेष---
-घटना के समय भेलूपुर के सीओ रहे त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने लगाई चार्जशीट
-देवबंद और बांग्लादेश से जुड़े थे देश को मर्माहत करने वाली घटना के तार
-प्रयागराज के फूलपुर का वलीउल्लाह था सीरियल धमाकों का साजिशकर्ता
-जैसे-जैसे बढ़ी जांच तो लखनऊ में मास्टर माइंड के गिरेबां तक पहुंच गये हाथ 

बृजेश यादव 
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मऊ :
सात मार्च 2006 को बनारस में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की विवेचना वर्तमान में मऊ के दिलेर अपर पुलिस अधीक्षक त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी ने की है। तब भेलूपुर के सीओ रहे त्रिपाठी के लिये समूचे राष्ट्र को शर्मसार करने वाली इस आतंकी घटना की जांच व खुलासा काफी चुनौतीपूर्ण था। इस घटना के तार देवबंद व बांग्लादेश से जुड़े थे। प्रयागराज के फूलपुर स्थित नलकूप कालोनी का रहने वाला आतंकी वलीउल्लाह 16 साल पहले हुए उस ब्लास्ट का मास्टर माइंड था। गाजियाबाद की अदालत द्वारा उसे सोमवार को फांसी की सजा सुनाए जाने को त्रिपाठी ने पुलिस सेवा व खुद के लिये हर्ष का दिन बताया। जनपद पुलिस भी अपने एएसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय में हुई सुनवाई के बाद आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाये जाने से खुश है।
चर्चा होते ही उभर जाता है परिदृश्य 
वाराणसी सीरियल ब्लास्ट का जब भी जिक्र होता है तो एएसपी त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी समेत घटना के बाद मौके पर पहुंचने वाले हर पुलिसकर्मी की आंखों के समक्ष सात मार्च 2006 का दृश्य उभर आता है। आतंकियों द्वारा सिलसिलेवार किये गये ब्लास्ट से मरने वालों के मांस के लोथड़े बिखरे पड़े थे। संकट मोचन मंदिर पर शाम सवा छह बजे पहला ब्लास्ट हुआ। इसमें सात लोगों की मृत्यु हो गई थी और 26 घायल हुए थे। पुलिस वहां पहुंची तब तक सूचना मिली कि वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के प्रतीक्षालय के समक्ष विस्फोट हो गया। भागे-भागे अफसर यहां पहुंचे। यहां नौ लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग जख्मी हुए थे। 
क्लू मिलना नहीं था आसान  
तत्कालीन भेलूपुर सीओ रहे त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी को चुनौतीपूर्ण आतंकी घटना की विवेचना मिली। जांच शुरु करते समय आतंकियों तक पहुंचने के लिये पुलिस के पास कोई भी सुराग नहीं था। विवेचना भले ही त्रिपाठी कर रहे थे, लेकिन देश की अस्मिता के साथ किये गये खिलवाड़ के चलते इस काम में एसटीएफ व एटीएस की उन्हें भरपूर मदद मिल रही थी। सर्विलांस सेल भी अपना काम बखूबी अंजाम दे रहा था। चूकि घटना को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन ने अंजाम दिया था, इसलिये पुलिस को घटनास्थल के आसपास से शुरुआती दौर में क्लू मिलने में मुश्किल आ रही थी।
बनारस में पहली बार एक्टिव था वलीउल्लाह का नंबर  
त्रिपाठी ने बुलंद आवाज से बताया कि सीरियल ब्लास्ट के समय घटना के आसपास के मोबाइल टॉवर क्षेत्रों में सक्रिय मोबाइल नंबरों का डिटेल निकलवाया गया। कुछ संदिग्ध नंबरों को पुलिस ने ट्रेस करना शुरु किया तो उसमें वलीउल्लाह का नंबर ऐसा था, जो बनारस में पहली बार एक्टिव था। इसी आधार पर पुलिस ने उसके बारे में पड़ताल शुरु की तो वह इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड निकल गया। लंबी जांच-पड़ताल व साक्ष्य हाथ लगने के बाद पुलिस ने उसे लखनऊ के समीप से गिरफ्तार किया। उसके पास से विस्फोटक, डेटोनेटर एवं शस्त्र आदि बरामद हुआ।
पूछताछ में सामने आया जेहादी इरादा  
पुलिस उसे पकड़कर वाराणसी ले आई। यहां पूछताछ में उसके जेहादी इरादे सामने आये। आतंकी संगठन आइएसआइ के पुराने मॉड्यूल से जुड़े आतंकियों के तार जुड़े होने की पुष्टि हुई। इस वारदात में शामिल आतंकी मोहम्मद जुबैर कश्मीर में हुई मुठभेड़ में मारा जा चुका है। तीन अन्य आतंकी जकारिया, मुस्तकीम व वशीर बांग्लादेश के निवासी हैं। यह तीनों वारदात के बाद अपने देश भाग गये। 
विस्फोटक के रुप में आइईडी का प्रयोग 
एएसपी ने बताया कि ब्लास्ट में विस्फोटक के रूप मे आइईडी का प्रयोग हुआ था। उनके ऊपर घटना के अनावरण एवं विवेचना का दायित्व था। घटना के तार देवबंद एवं बांग्लादेश से जुडे़ थे। वाराणसी में आतंकी वलीउल्लाह का मुकदमा लड़ने से अधिवक्ताओं के इन्कार किये जाने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर गाजियाबाद न्यायालय में इसकी सुनवाई शुरु हुई। गवाही के दौरान उन्हें अत्यन्त मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा। कोर्ट द्वारा वलीउल्लाह को फांसी की सजा दिये जाने के बाद उन्हें काफी सकून व खुशी हुई है। 
 



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