आनलाइन पोर्टल पर भी भारी भ्रष्टाचारी 

25 Dec 2021

-भ्रष्टाचार का स्तर राजतंत्र, लोकतंत्र एवं तानाशाही पर निर्भर
-ईमानदार शासक कम करने में तो बेईमान लूटने में लगे रहे 

डा. गंगासागर सिंह 
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मऊ :
शायद भ्रष्टाचार एवं मनुष्य की उत्पत्ति एक साथ हुई थी। भ्रष्टाचार भले ही किसी युग में कम एवं किसी युग में ज्यादा रहा हो, लेकिन आज कलियुग में चरम सीमा पर है। ईमानदार शासक भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश में लगे रहे। वहीं बेईमान शासक दिन दूना रात चौगुना भ्रष्टाचार बढ़ाकर आम जनता को लूटते रहे। इस परिपाटी पर अंकुश लगाने के लिये ही वर्तमान समय में बहुत सारे काम घर बैठे आनलाइन कराने के लिये पोर्टल का इजाद हुआ, लेकिन अभी तक इस पर भ्रष्टाचारी भारी हैं। 
अधिकांश शासकों ने किया अंकुश लगाने का प्रयास 
भ्रष्टाचार का स्तर शासन प्रणाली(राजतंत्र,लोक तंत्र एवं तानाशाही) पर निर्भर करता है। आज दुनियाभर में अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नई शासन प्रणाली है। दुनिया भर में अनादिकाल काल से राजतंत्र रहा है। शासन प्रणाली जो भी रही हो कुछ अपवाद छोड़कर अधिकांश शासन काल में भ्रष्टाचार को कम करने की सतत कोशिश जारी रही है। 
व्यवस्था अच्छी पर कंप्यूटर ज्ञान आवश्यक 
आधुनिक युग में आटोमैटिक पोर्टल सिस्टम विथ फुल आटोमेशन आम जनमानस की सरकारी सहायता, प्रमाण पत्र, प्रार्थना पत्र, शिकायत एवं निवारण, लाइसेंस, मनी ट्रांसफर आदि कार्यों के लिए बहुत ही अच्छी व्यवस्था सिद्ध हो रहा है। इसके लिए कम्प्यूटर ज्ञान अति आवश्यक है। हमारे देश में कम्प्यूटर साक्षरता बहुत कम है। सुधार प्रक्रिया डाल डाल एवं भ्रष्टाचारी पात-पात हमेशा रहे हैं। किसी भी कार्य प्रणाली मे भयादोहन की व्यवस्था शासन -प्रशासन ढ़ंूढ निकालता है, क्योंकि कम्प्यूटर का निर्माण एवं संचालन कोई न कोई मनुष्य ही करता है। बावजूद इसके फुल्ली आटोमेशन से बहुत उम्मीद है। इस व्यवस्था के तहत सर्टिफिकेट एवं लाइसेंस पत्र विभिन्न सरकारी पोर्टल पर बिना अधिकारी एवं बाबू की जी हजूरी किये दर्ज कर सकते हैं। समस्त फार्मेल्टी लोड करने के बाद उसे अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ स्वयं प्रिन्ट कर प्राप्त कर सकते हैं। 
मऊ में दो साल में नहीं निकला एक भी प्रिंट  
पिछले दो सालों से सीएमओ आफिस में फुल्ली आटोमेशन से लाइसेंस प्राप्त करने की सुविधा राज्य सरकार ने लागू किया है, लेकिन हम डाक्टर वर्ग (जिनकी कम्प्यूटर साक्षरता बहुत अच्छी है) विगत दो वर्षों एक भी लाइसेंस स्वयं प्रिन्ट नहीं कर सके। पोर्टल पर सर्टिफिकेट जनरेटेड लेकिन नाट लोडेड प्रदर्शित होता है। वहीं सीएमओ आफिस में वहां का बाबू बिना डिजिटल सिग्नेचर के प्रिन्ट निकाल देता है। सबसे मजेदार बात यह है कि सर्टिफिकेट का प्रिन्ट बाबू द्वारा देने के बाद भी सर्टिफिकेट जनरेटेड लेकिन नाट लोडेड का स्टेटस पोर्टल पर बरकरार रहता है। कौन सी कारीगरी की जाती है यह तो कोई एक्सपर्ट ही बता सकता है। अन्य विभागों में क्या हो रहा है, वह तो भुक्तभोगी ही बतायेगा। अंत में निष्कर्ष यही निकलता है कि सबका कारण एक ही है समाज में नैतिक पतन की पराकाष्ठा। बिना समाज सुधार के भ्रष्टाचार दूर करने के सभी उपाय लाख प्रयास  के बावजूद भी असफल रहेंगे।
समाज सुधार में स्वास्थ्य का बहुत बड़ा योगदान 
स्वास्थ्य ही धन है। जिसने स्वास्थ्य खो दिया उसने सब कुछ खो दिया। स्वस्थ व्यक्ति ही स्वयं, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के लिए कुछ कर सकता है। स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक,  भावनात्मक एवं आर्थिक अच्छी अवस्था (वेल बीइंग ) है। केवल शारीरिक रूप से बीमारी मुक्त होना ही स्वास्थ्य नहीं है।         स्वस्थ व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के मानव जीवन को नयी एवं बेहतर दिशा में ले जा सकते हैं। प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर अर्थात् ऐसी जीवन शैली अपनायी जाए जिससे मनुष्य निरोग रहे एवं बीमारियां पैदा ही न हों। इसके लिए नियमित-व्यायाम, योग, ध्यान, पूजा-पाठ, संगीत, सत्संग, उत्सवों का सामूहिक आयोजन, रोजगार गारंटी एवं आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का ज्ञान आदि से हम लगभग हमेशा स्वस्थ रहेंगे एवं बीमारियां बहुत ही कम होंगी। (यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मऊ के अध्यक्ष हैं।)
 



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