सिंघु बार्डर पर गरजे अतुल कुमार अनजान

27 Aug 2021

-25 सितंबर को भारत बंद का किया आह्वान
-मुजफ्फरनगर मे पांच सितंबर को करेंगे रैली

बुलंद आवाज ब्यूरो
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नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन शुक्रवार को सिंघु बार्डर पर हुआ। इसमें भाकपा नेता अतुल कुमार अनजान ने किसानोें के हक व हकूक को लकर हुंकार भरी। वह केंद्र सरकार पर जमकर गरजे। खेती में प्रयोग होने वाले हल का नाम लेते हुए आंदोलित किसानों के मसले पर इशारा करते हुए कहा कि समस्याओं का हल, हल से ही निकलेगा। आगामी 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया। इसके पूर्व पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में रैली करने का निर्णय लिया गया।
कारपोरेट से लड़ने के लिये विवश किसान : मित्तल
आयोजन समिति के संयोजक डा. आशीष मित्तल ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आज पूरा किसान समुदाय कृषि, खाद्य भंडारण और कृषि बाजार के सभी पहलुओं पर कार्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण से लड़ने के लिए विवश है। किये जा रहे परिवर्तनों से किसान ऋण, आत्महत्या और भूमि से विस्थापन में व्यापक वृद्धि होगी।
मेहनतकश लोगों पर चौतरफा हमला
वक्ताओं ने कहा कि यह हमला किसानों और खेतिहर मजदूरों तक सीमित नहीं है। यह भारत के मेहनतकश लोगों के सभी वर्गों पर चौतरफा हमला है। देश की संपत्ति जो अपने लोगों को रोजगार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए है, जैसे रेलवे, पावर ट्रांसमिशन लाइन, प्राकृतिक गैस संसाधन, दूरसंचार परियोजनाएं, खाद्य भंडारण, बीमा, बैंक, आदि को बेचा जा रहा है। 4 श्रम कोड के माध्यम से औद्योगिक श्रमिकों के मूल अधिकारों पर हमला किया जा रहा है।
गरीबों के राशन व सब्सिडी पर निशाना
कहा कि गरीबों के लिए कल्याण और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सब्सिडी और राशन पर निशाना साधा जा रहा है। आवश्यक वस्तुओं, विशेषकर ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि की जा रही है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। इन क्षेत्रों के विकास में केवल करपोरेट का वर्चस्व है। अर्थव्यवस्था के विकास के नाम पर हिंदुत्व की आड़ में, जो लोगों की चेतना को सुन्न करने का काम करती है और लोगों की स्वतंत्रता पर फासीवादी हमलों के माध्यम से, आम लोगों को आतंकित करके, कारपोरेट की लाभ वृद्धि में मदद की जा रही है। इसके लिए मानव जीवन के हर पहलू का मुद्रीकरण किया जा रहा है।
किसानों ने करोड़ों लोगों के विश्वास को किया प्रेरित
यह ऐतिहासिक किसान संघर्ष, जिसने अपने उपर सरकार के हमले को चुनौती दी है, केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई नहीं है। यह देश को भारतीय और विदेशी करपोरेट्स द्वारा पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने से बचाने की लड़ाई है। यह वास्तविक आत्म-निर्भर विकास का मार्ग है, जो अपने देशभक्त नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा करता है। इसने करोड़ों लोगों के विश्वास को प्रेरित किया है और आने वाले दिनों में भी ऐसा करते रहेंगे।
किसानों की मांगों को स्वीकार करने की मांग
वक्ताओं ने कहा कि इस कन्वेंशन ने तीन कानूनों, एमएसपी और अन्य की मांग पर चर्चा की। प्रत्येक पहलू पर एक विस्तृत प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसने किसानों से राज्य / जिला एसकेएम इकाइयों का गठन करने और सभी सहायक संगठनों के साथ राज्यों और जिलों में संघर्ष करने, सम्मेलनों, रैलियों का आयोजन करने, टोल वसूली का विरोध करने और किसानों की देशभक्ति मांगों को स्वीकार करने से इनकार करने के लिए भाजपा और एनडीए नेताओं के खिलाफ विरोध करने का आह्वान किया।



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