चीन की हरकत पर चुप्पी, समझ से परे

16 Jun 2020

---हैरानी---
-गालवन वैली की वास्तविकता देश के सामने लाने में की गई देरी, विदेश मंत्री भी मौन

बुलंद आवाज राष्ट्रीय ब्यूरो
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नई दिल्ली : गालवन वैली में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद भी प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री की चुप्पी देशवासियों की समझ से परे है। जवानों की शहादत की सूचना भी विलंब से दिये जाने पर लोग हैरान हैं।
घटनाक्रम पर नजर
सोमवार रात 12 से 2 बजे तक : लद्दाख के गालवन में चीनी सैनिक झड़प कर भारतीय जवानों पर हमला करते हैं, पर इसकी सूचना किसी को नहीं मिलती। दिल्ली के रास्ते देश को भी नहीं।
मंगलवार दोपहर करीब 12.45 बजे : खबर आती है कि कमांडिंग अफसर समेत तीन सैनिक शहीद हो गए हैं।
दोपहर 1 बजे : घटना के करीब 11 घंटे बाद सेना बयान जारी कर कहती है कि कर्नल समेत हमारे तीन जवान शहीद हुए हैं।
तीसरे पहर 3 बजे : प्रधानमंत्री दिल्ली में बैठकर 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करते हैं। विषय होता है कोरोना। देश को बता रहे हैं कि मास्क पहनकर निकलिये।
रात 8 बजे : मुख्यमंत्रियों से बातचीत के बाद रात 9 बजे के करीब प्रधानमंत्री के घर पर रक्षामंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बैठक होती है।
रात 10 बजे : खबर आती है कि चीन बॉर्डर पर 20 जवान शहीद हुए हैं। फिर खबर आती है कि चीन के भी 43 जवान या तो मारे गए हैं, या घायल हुए हैं।
मंगलवार रात 10.30 बजे : प्रधानमंत्री के घर पर जारी बैठक खत्म। लेकिन रात तक किसी का कोई बयान नहीं।
चीन ने की बातचीत की पहल
सोमवार रात की घटना के बाद चीन डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुट गया। मंगलवार सुबह 7:30 बजे चीन की पहल पर ही गालवन वैली में मीटिंग बुलाई गई। इसमें दोनों देशों के बीच मेजर जनरल लेवल की बातचीत हुई।
चीन की धमकी
दोपहर करीब 1 बजे हिंसक झड़प की खबर दुनिया के सामने आई तो चीन ने अपना रुख बदल लिया। वह धमकाने वाले अंदाज में आ गया। कहा- अब भारत एकतरफा कार्रवाई न करे, नहीं तो मुश्किलें बढ़ेंगी। चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच रजामंदी बनी थी, लेकिन भारतीय जवानों ने इसे तोड़ दिया और बॉर्डर क्रॉस किया।
भारत का चीन को जवाब
झड़प की बात सामने आने के करीब 8 घंटे बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों तरफ नुकसान हुआ है। अगर चीन की तरफ से हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा जाता तो दोनों तरफ हुए नुकसान को टाला जा सकता था। भारत ने हमेशा अपनी सीमा में रहकर ही मूवमेंट किया है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन भी ऐसा ही करे।
लद्दाख में तनाव पर अमेरिका की नजर
लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पैदा हुए हालात पर अमेरिका की भी नजर है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने बयान जारी कर कहा कि भारत और चीन के सैनिकों के बीच एलएसी पर जो स्थिति बनी हुई है, उस पर हमारी नजर है। दोनों देश आपसी सहयोग और शांति से इस तनावपूर्ण स्थिति से निपटना चाहते हैं। 2 जून को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई थी।
मई से तनाव
दोनों देशों के बीच 41 दिन से सीमा पर तनाव है। शुरुआत 5 मई से हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में चार बार बातचीत हो चुकी है। बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के बीच रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाए या डी-एस्केलेशन किया जाए। डी-एस्केलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।
पूर्व डीजीएमओ बोले, झड़प को हल्के में न लें
पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया बताते हैं कि दोनों ओर के सैनिकों के बीच ये हिंसक झड़प और उसमें जवानों की शहादत बेहद चिंता की बात है। दोनों ही पक्षों को आपस में मिल-बैठकर हालात को तुरंत काबू में लाना होगा। यह हिंसक झड़प बताती है कि हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इसे हल्के में न लिया जाए।



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